नई दिल्ली. आर्टिकल 370 हटने के बाद हालात के जायजे के लिए यूरोपियन यूनियन के 27 सांसदों के प्रतिनिधिमंडल का जम्मू कश्मीर दौरा विवादों और सवालों के घेरे में आ गया है. इस दौरे को लेकर कांग्रेस समेत अन्य विपक्षी दल जमकर नरेंद्र मोदी सरकार पर हमला कर रहे हैं. हालांकि, ईयू सांसदों का कहना है कि वे किसी राजनीतिक नहीं बल्कि निजी यात्रा पर हैं. दावा है कि ईयू सांसदों के दौरे को मादी शर्मा नाम की एक महिला ने आयोजित किया जो खुद को इंटरनेशनल बिजनेस ब्रोकर बताती हैं. वहीं यात्रा का खर्च उठाया दिल्ली बेस्ड एक NGO ने जिसका मालिकाना हक श्रीवास्तव ग्रुप के पास है.
ईयू सांसदों को दौरे पर मादी शर्मा का नाम ब्रोकर के रूप में सामने आते ही सोशल मीडिया पर लोगों की जमकर प्रतिक्रियाएं आनी शुरू हो गई हैं. काफी संख्या में लोग अब यूरोपियन यूनियन के सांसदों के दौरे पर सवाल खड़े कर रहे हैं.
ट्वीटर पर एक यूजर ने कहा है कि किस अधिकार से मादी शर्मा ने पीएम मोदी के साथ ईयू डेलिगेशन की निजि यात्रा पर भी मीटिंग फिक्स की और भारत सरकार निजी दौरे पर भी क्यों उन्हें सुविधाएं प्रदान कर रही थी. ईयू सांसदों के दौरे का खर्च पैसा कहा है? इस मामले में विदेश मंत्रालय को पूरी तरह क्यों किनारा क्यों कर दिया गया?
एक ट्वीटर यूजर ईयू सांसदों के दौरे को लेकर कहा कि सबकुछ पेड और पैसा देकर स्टेज मैनेज करके कौन सा देश का भला हो रहा है. भूसे को ऊपर कितना ही लीपो, असलियत नहीं छुपेगी.
सरकार भारत को लगातार बर्बादी की कगार की ओर धकेलने में लगी है.
जाने कौन हैं इंटरनेशनल बिजनेस ब्रोकर मादी शर्मा
खुद को इंटरनेशनल बिजनेस ब्रोकर बताने वाली मादी शर्मा यूरोपीय इकोनॉमिक एंड सोशल कमिटी (EESC) की मौजूदा मेंबर हैं. ईईएससी यूरोपीय यूनियन का एक सलाहकार निकाय है. ईईएससी की आधिकारिक वेबसाइट पर मादी शर्मा के प्रोफाइल में उन्हें ईस्ट मिडलैंड्स के लिए एक बिजनेस चैंपियन और नॉटिंघम के लिए बिजनेस एम्बेसडर कहा गया है.
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