नई दिल्ली. गुजरात और हिमाचल प्रदेश चुनाव के नतीजे आ गए हैं, एक राज्य में कांग्रेस को मुंह की खानी पड़ी तो वहीं दूसरे राज्य में पार्टी को पूर्ण बहुमत मिली है. वैसे तो नतीजे हिमाचल और गुजरात के आए लेकिन इसका सीधा असर राजस्थान में देखने को मिल रहा है. हिमाचल में कांग्रेस को जीत मिली तो सचिन पायलट की पीठ थपथपाई गई वहीं जब गुजरात में कांग्रेस हारी तो अशोक गहलोत पर सवाल उठने लगे और साथ ही ये भी सवाल उठा कि हिमाचल और गुजरात के नतीजों का असर गहलोत की कुर्सी पर भी पड़ सकता है.
दरअसल, इन दोनों राज्यों के नतीजों का सीधा-सीधा संबंध राजस्थान से है क्योंकि कांग्रेस ने गुजरात के प्रदेश प्रभारी के तौर पर रघु शर्मा को तैनात किया था और मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को चुनाव के समय बतौर सीनियर ऑब्जर्वर नियुक्त किया गया था. शर्मा की गिनती गहलोत के करीबी नेताओं में की जाती है. इन दोनों नेताओं ने गुजरात में कई रैलियां की साथ ही दमदार चुनाव प्रचार भी किया. बावजूद इसके कांग्रेस ने राज्य में बहुत ही खराब प्रदर्शन किया, साल 2017 के विधानसभा चुनावों में अशोक गहलोत ने गुजरात में मोर्चा संभाला था और उस समय पार्टी को 77 सीटों पर जीत मिली थी लेकिन इस बार गुजरात में गहलोत का जादू नहीं चल पाया. ऐसे में, चुनाव में हुई हार की ज़िम्मेदारी लेते हुए रघु शर्मा ने तो इस्तीफ़ा दे दिया लेकिन इस हार पर अशोक गहलोत की तरफ से कोई प्रतिक्रिया नहीं आई.
एक ओर गुजरात की हार को लेकर अशोक गहलोत पर जहाँ तलवार लटक रही है तो वहीं दूसरी तरफ राजस्थान के पूर्व उप मुख्यमंत्री और सचिन पायलट हिमाचल चुनावों में जीत की रणनीति बनाने वालों में सबसे अहम रहे हैं. कांग्रेस पार्टी ने पायलट को बतौर स्टार प्रचारक और ऑब्ज़र्वर चुनावी मैदान में उतारा था. पायलट ने हिमाचल में बहुत मेहनत की, इस कड़ी में उन्होंने कांगड़ा, मंडी, शिमला में धुंआधार चुनाव प्रचार किया. साथ ही सचिन पायलट ने प्रियंका गांधी के साथ मिलकर कई रैलियों को भी संबोधित किया, चुनावी जनसभा में पीएम मोदी और अमित शाह पर निशाना साधने के साथ ही पायलट ने छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल, पंजाब नेता प्रताप सिंह बजावा के साथ मिलकर पायलट ने आक्रमण चुनावी रणनीति भी तैयार की. ऐसे में, पायलट प्रेस कांफ्रेंस के दौरान पूरे आत्मविश्वास के साथ हिमाचल प्रदेश के नेताओं को यह तक कहते हुए दिखाई दिए कि ‘आप चिंता मत करो मैं हिमाचल जिताकर ही जाऊंगा क्योंकि हम आधा काम नहीं करते हैं.’
अब गहलोत के नेतृत्व में पार्टी को गुजरात में हार मिली तो वहीं पायलट के नेतृत्व में पार्टी ने हिमाचल में जीत हासिल की. ऐसे में, ये कयास लगाए जा रहे हैं कि गहलोत की कुर्सी जा सकती है तो वहीं सचिन पायलट को इनाम मिल सकता है.
प्रदेश के राजनीतिक जानकारों का कहना है कि हिमाचल प्रदेश के चुनाव में रणनीति बनाने में सचिन पायलट का बहुत ख़ास रोल रहा है. हालांकि, यहां प्रियंका गांधी ने भी चुनावी रणनीति बनाने में बहुत अच्छा काम किया है. हिमकहल की इस जीत में पायलट की अहम भूमिका से कांग्रेस के बड़े नेताओं के बीच उनका नजरिया भी बदल गया है. पार्टी में उनकी छवि को लेकर सकारात्मक राय बन रही है, ऐसे में, अब सचिन पायलट का खेमा आक्रामक होकर इस जीत को अपने पक्ष में भुनाने की कोशिश करेगा और ऐसे में पायलट खेमे का गहलोत की रणनीति पर भी सवाल उठाना लाज़मी है.
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