महाराष्ट्र और झारखंड में विधानसभा चुनाव प्रचार आज खत्म हो गया है. महाराष्ट्र में बीजेपी ने अपने चुनाव प्रचार में बटोगे तो कटोगे और एक है तो सेफ है जैसे नारों के जरिए चुनाव प्रचार किया। कांग्रेस ने इसका जवाब मुद्दों पर आधारित रणनीति से देने की कोशिश की। वहीं झारखंड में JMM और कांग्रेस गठबंधन के बीच भी आपसी तालमेल में दिक्कतें सामने आईं।
मुंबई: महाराष्ट्र और झारखंड में विधानसभा चुनाव प्रचार आज खत्म हो गया. अंतिम दिन सभी दलों ने अपनी पूरी ताकत झोंकते हुए वोटरों को लुभाने की कोशिश की। महाराष्ट्र में महाविकास अघाड़ी और महायुति के बीच जोरदार मुकाबला देखने को मिला, जबकि झारखंड में कांग्रेस और झारखंड मुक्ति मोर्चा (JMM) के बीच आपसी तालमेल की कमी चर्चा में रही।
महाराष्ट्र में बीजेपी ने अपने चुनाव प्रचार में बटोगे तो कटोगे और एक है तो सेफ है जैसे नारों के जरिए चुनाव प्रचार किया। कांग्रेस ने इसका जवाब मुद्दों पर आधारित रणनीति से देने की कोशिश की। राहुल गांधी ने अंतिम दिन प्रेस कॉन्फ्रेंस कर महाविकास अघाड़ी की पांच गारंटियों पर जोर दिया और धारावी जैसे लोकल मुद्दों को उठाया। कांग्रेस ने जनता के बीच इन गारंटियों को पहुंचाने पर ध्यान दिया है। हालांकि महाविकास अघाड़ी के अंदर शिवसेना (उद्धव) और कांग्रेस के बीच तालमेल की कमी भी चर्चा का विषय रही। कांग्रेस सूत्रों के अनुसार, शिवसेना ने ज्यादा सीटें लेकर दबदबा बनाया, लेकिन उनका प्रदर्शन लोकसभा चुनाव जैसा न होने पर गठबंधन को नुकसान हो सकता है।
झारखंड में JMM और कांग्रेस गठबंधन के बीच भी आपसी तालमेल में दिक्कतें सामने आईं। JMM का मानना है कि कांग्रेस ने झारखंड में पर्याप्त मेहनत नहीं की है। उनका आरोप है कि कांग्रेस ने वायनाड चुनाव प्रचार को ज्यादा तवज्जो दी, जिससे झारखंड में कमजोर प्रचार हुआ। JMM को आशंका है कि कांग्रेस के प्रदर्शन से गठबंधन को नुकसान हो सकता है।
दोनों राज्यों में 20 नवंबर को मतदान होगा और 23 नवंबर को नतीजे सामने आएंगे। कांग्रेस अब अंतिम दिनों में प्रचार में हुई कमजोरियों को भुलाकर राहुल गांधी की थीम और गारंटियों को जन-जन तक पहुंचाने की कोशिश कर रही है। इन चुनावों के नतीजे यह तय करेंगे कि गठबंधन और मुद्दों की रणनीति कितनी कारगर रही।
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