मुंबई : महाराष्ट्र के राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी का बवाली बयान इस समय राज्य की सत्ता में चर्चा का विषय है. विपक्ष ने जहां इस बयान को मराठी अस्मिता से जोड़ दिया है वहीं एकनाथ शिंदे सरकार ने उनके बयान को निजी बताकर इससे किनारा कर लिया है. अब इस बयान पर राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी […]
मुंबई : महाराष्ट्र के राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी का बवाली बयान इस समय राज्य की सत्ता में चर्चा का विषय है. विपक्ष ने जहां इस बयान को मराठी अस्मिता से जोड़ दिया है वहीं एकनाथ शिंदे सरकार ने उनके बयान को निजी बताकर इससे किनारा कर लिया है. अब इस बयान पर राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी की नेता सुप्रिया सुले ने भी अपनी प्रतिक्रिया दी है. सुप्रिया ने कहा, कि केन्द्र सरकार को उन्हें (कोश्यारी को) वापस बुला लेना चाहिए.
राज्यपाल के अपने विचार हैं लेकिन हम उनके बयानों का समर्थन नहीं करेंगे। राज्यपाल का पद एक संवैधानिक पद है। उन्हें संविधान की नैतिकता के तहत बोलना चाहिए। हम मुंबई और मराठी लोगों के योगदान को कभी नहीं भूलेंगे: महाराष्ट्र के राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी के बयान पर महाराष्ट्र के CM pic.twitter.com/vHtobr7EdN
— ANI_HindiNews (@AHindinews) July 30, 2022
एकनाथ शिंदे ने राज्यपाल के इस बयान पर कहा, “राज्यपाल के ये विचार निजी हैं. हम उनका समर्थन नहीं करते. राज्यपाल का पद एक संवैधानिक पद होता है. जिससे उन्हें संविधान के दायरे में रहकर ही बोलना चाहिए. हम मुंबई के लिए मुंबईकर और मराठी लोगों के योगदान को भी कभी नहीं भुला सकते हैं.” बता दें, इस समय कोश्यारी के इस बयान को लेकर खूब बवाल मचा हुआ है. विपक्ष और पक्ष के कई नेता इसपर अपनी प्रतिक्रिया दे रहे हैं और सरकार उन पर जमकर निशाना साध रहे हैं.
राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ने अपने बयान पर सफाई देते हुए कहा है कि मुंबई महाराष्ट्र का गौरव है। ये देश की आर्थिक राजधानी भी है। छत्रपति शिवाजी महाराज और मराठी जनता की इस धरती पर मुझे राज्यपाल के रूप में सेवा करने का अवसर मिला। इस बात का मुझे गर्व है। उन्होंने आगे कहा कि इसी वजह से मैंने बहुत ही कम समय में मराठी भाषा सीखने की कोशिश की।
भगत सिंह कोश्यारी ने आगे कहा कि हमेशा की तरह ही मेरे बयान को तोड़-मरोड़ कर पेश किया गया है। महाराष्ट्र के निर्माण में मराठी लोगों की मेहनत का सबसे ज्यादा योगदान रहा है। हाल ही में देश में राजनीतिक चश्मे के माध्यम से सब कुछ देखने की दृष्टि विकसित हुई है। हमें उसे बदलना होगा। उन्होंने कहा कि राजनीतिक दलों को इस पर अकारण विवाद नहीं खड़ा करना चाहिए। कभी भी मेरे द्वारा मराठी लोगों का अपमान नहीं किया गया है।