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फैसले के बाद बदला शिंदे का ट्विटर, नाम शिवसेना लिखकर लगाया धनुष-बाण

मुंबई: महाराष्ट्र की सियासत के लिए शुक्रवार का दिन काफी अहम रहा. जहां राज्य की सबसे बड़े दो गुटों के संबंध में निर्वाचन आयोग का बड़ा फैसला सामने आया. ये फैसला शिंदे गुट और उद्धव गुट के बीच लंबे समय से शिवसेना के नाम और चिन्ह को लेकर चल रही तनातनी को लेकर आया है. […]

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फैसले के बाद बदला शिंदे का ट्विटर, नाम शिवसेना लिखकर लगाया धनुष-बाण
  • February 17, 2023 10:15 pm Asia/KolkataIST, Updated 2 years ago

मुंबई: महाराष्ट्र की सियासत के लिए शुक्रवार का दिन काफी अहम रहा. जहां राज्य की सबसे बड़े दो गुटों के संबंध में निर्वाचन आयोग का बड़ा फैसला सामने आया. ये फैसला शिंदे गुट और उद्धव गुट के बीच लंबे समय से शिवसेना के नाम और चिन्ह को लेकर चल रही तनातनी को लेकर आया है. जहां फैसला महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के पक्ष में रहा.

ट्विटर पर बदली प्रोफ़ाइल

BMC चुनावों से ठीक पहले आयोग के इस फैसले से सियासत गरमा गई है. जहाँ एकनाथ शिंदे ने आयोग के इस फैसले को लोकतंत्र की जीत करार दिया है. अब सोशल मीडिया साईट ट्विटर पर भी इस फैसले का असर देखने को मिल रहा है. जहां एकनाथ शिंदे ने पार्टी का नाम बदलकर शिवसेना कर लिया है. इसके अलावा उन्होंने प्रोफ़ाइल पर तस्वीर भी धनुष बाण की लगा ली है. अब उनकी प्रोफाइल पर शिवसेना नाम नज़र आ रहा है. जिसके ऊपर शिवसेना का चिन्ह भी दिखाई दे रहा है.

शिंदे का बयान

दरअसल शिवसेना के नाम और पार्टी के सिंबल पर हक को लेकर उद्धव ठाकरे और एकनाथ शिंदे के बीच पिछले कुछ समय से तनातनी चल रही थी. इसी बीच चुनाव आयोग का बड़ा फैसला सामने आया है. इस फैसले के बाद शिवसेना का नाम और पार्टी का निशान शिंदे गुट को मिल जाएगा. दरअसल EC ने पार्टी का नाम और शिवसेना का प्रतीक तीर कमान एकनाथ शिंदे गुट को सौंप दिया है. इस फैसले के बाद महाराष्ट्र के सीएम एकनाथ शिंदे की भी प्रतिक्रिया आई है. उन्होंने एक समाचार चैनल से बातचीत के दौरान कहा कि ये लोकतंत्र की जीत है. लोग हमसे जुड़े हुए हैं सत्य की जीत हुई है. ये बालासाहेब के विचारों की जीत हुई है. उन्होंने आगे EC के इस फैसले को लाखों कार्यकर्ताओं की जीत बताया है.

सुप्रीम कोर्ट जाएंगे ठाकरे

पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने प्रेस कॉन्फ्रेंस के जरिए बता दिया है कि वह इस फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देंगे. उन्होंने इस फैसले को लोकतंत्र के लिए घातक भी बताया. उनके शब्दों में, केंद्र सरकार की दादागिरी चल रही है. यह निर्णय बहुत ही अनअपेक्षित है. अब हमारी यह लड़ाई सुप्रीम कोर्ट में जाएगी। वह आगे कहते हैं कि ‘मैंने कहा था कि जब तक सुप्रीम कोर्ट का फैसला नहीं होता, तब तक चुनाव आयोग यह फैसला न दे. पार्टी किसकी है, किसकी नहीं यह अगर चुनकर आए लोगों के आधार पर ही होगा तो पार्टी संगठन का क्या होगा।

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