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दशहरा रैली: एकनाथ शिंदे का उद्धव ठाकरे पर तीखा हमला, मैं कट्टर शिवसैनिक हूं, मैदान नहीं छोड़ता

मुंबई: देशभर में विजयदशमी (दशहरा) का पर्व आज धूमधाम से मनाया जा रहा है। इसी के साथ मुंबई में शिवसेना के दोनों गुटों ने अपनी-अपनी रैलियों का आयोजन कर शक्ति प्रदर्शन किया है। मुंबई के आजाद मैदान में शिवसेना के एक गुट की दशहरा रैली में मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने जनसभा को संबोधित किया। खुद […]

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Dussehra Rally_ Eknath Shinde's sharp attack on Uddhav Thackeray
  • October 12, 2024 8:54 pm Asia/KolkataIST, Updated 2 months ago

मुंबई: देशभर में विजयदशमी (दशहरा) का पर्व आज धूमधाम से मनाया जा रहा है। इसी के साथ मुंबई में शिवसेना के दोनों गुटों ने अपनी-अपनी रैलियों का आयोजन कर शक्ति प्रदर्शन किया है। मुंबई के आजाद मैदान में शिवसेना के एक गुट की दशहरा रैली में मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने जनसभा को संबोधित किया।

खुद को बताया कट्टर शिवसैनिक

सीएम शिंदे ने अपने संबोधन में कहा कि उन्हें गर्व है कि वे हिंदू हैं, जबकि कुछ लोगों को हिंदू कहने में शर्म आती है। उन्होंने दावा किया कि उन्होंने शिवसेना को “आज़ाद” कराया है और अब यह शिवसैनिकों की स्वतंत्र शिवसेना है। वहीं शिंदे ने आगे कहा कि जब उन्होंने सरकार बनाई थी, तब बहुत से लोगों को लगता था कि यह सरकार 2-3 महीने में गिर जाएगी, लेकिन उनकी सरकार ने बिना किसी बाधा के 2 साल पूरे कर लिए। उन्होंने कहा कि अगर महाविकास अघाड़ी की सरकार को नहीं हटाया गया होता, तो महाराष्ट्र काफी पीछे रह जाता। शिंदे ने खुद को कट्टर शिवसैनिक बताते हुए कहा, “मैं भगोड़ा नहीं हूं, कट्टर शिवसैनिक हूं और मैदान नहीं छोड़ता।”

Eknath Shinde Uddhav Thackeray

उद्धव ठाकरे पर साधा निशाना

इस दौरान उद्धव ठाकरे पर निशाना साधते हुए शिंदे ने कहा कि पहले लोग बाला साहेब ठाकरे से मिलने आते थे और मुख्यमंत्री बनने की मांग करते थे, लेकिन अब उद्धव के साथी भी उनकी शक्ल पसंद नहीं करते, तो महाराष्ट्र कैसे चलेगा? उन्होंने दावा किया कि उनके फैसलों से कई काले धंधे बंद हो गए हैं। शिंदे ने आगे कहा कि उनकी सरकार फेसबुक लाइव पर काम करने के बजाय लोगों के बीच रहकर काम कर रही है। उन्होंने प्रधानमंत्री द्वारा मराठी को शास्त्रीय भाषा का दर्जा दिए जाने का भी जिक्र किया और इसे महाराष्ट्र के लिए गर्व की बात बताया।

शिवसेना की दशहरा रैली की राजनीतिक महत्ता को ध्यान में रखते हुए इस बार दोनों गुट अपने-अपने समर्थन को मजबूत करने के प्रयास में जुटे हैं, क्योंकि महाराष्ट्र विधानसभा का कार्यकाल 26 नवंबर को समाप्त होने जा रहा है और आगामी चुनाव के पहले यह रैली एक अहम मंच बन गई है।

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