प्रयागराज: यूपी के प्रयागराज में महाकुंभ मेला लगा हुआ है। इसकी शुरुआत 13 जनवरी को हुई थी जो 26 फरवरी तक चलेगी। महाकुंभ का प्रथम अमृत स्नान मकर संक्रांति पर हो चुका है। दूसरा अमृत स्नान 29 जनवरी को मौनी अमावस्या पर है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी महाकुंभ में शामिल होने जायेंगे। क्या आपको पता है आजाद भारत के पहले महाकुंभ में हजार से ज्यादा लोग मारे गए थे। आइए जानते हैं पूरी घटना क्या है?

जानिए पूरा मामला

साल 1954 में आजाद भारत का पहला कुंभ लगा था। 3 फरवरी को मौनी अमावस्या थी, इस वजह से इलाहाबाद में भारी भीड़ थी। लाखों की संख्या में लोग संगम पहुंचे हुए थे। बारिश भी हो राज थी, इस वजह से चारों तरफ कीचड़ थी। सुबह 8-9 बजे के समय ट्रैफिक नियमों को तोड़कर वन वे सड़क पर दोनों तरफ से लोग आवाजाही करने लगे। तभी अचानक उन्हें खबर मिली की प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू आ रहे हैं। फिर क्या था, उन्हें देखने के लिए भीड़ टूट पड़ी। उधर से नागा साधु आ रहे थे। भीड़ को अपनी तरफ आता देखकर वो भी उन्हें त्रिशूल-तलवार लेकर मारने के लिए दौड़ पड़े। भगदड़ मच गई और लोग एक दूसरे पर गिरने लगे। जो गिरा वो फिर उठ नहीं पाया।

नेहरू को मांगनी पड़ी माफ़ी

कुछ लोग बिजली के खंभो पर चढ़ गए तो उतर ही नहीं पाए। एक भगदड़ में हजार लोगों की जान चली गई। सरकार ने यह बात छुपानी चाही लेकिन एक पत्रकार ने तस्वीरें छाप दी। अखबार में तस्वीरें देखने के बाद हंगामा मच गया। 2019 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस घटना के लिए नेहरू को जिम्मेदार ठहराया था। सीनियर फोटो जर्नलिस्ट एनएन मुखर्जी ने अपनी रिपोर्ट छायाकृति मैगजीन में छापी। इसमें उन्होंने लिखा कि इस हादसे के अगले दिन अमृत बाजार पत्रिका में एक तरफ हादसे की खबर छपी थी तो दूसरी ओर राजभवन में नेताओं की पार्टी की। सरकार ने उस दौरान कहा कि इस तरह की कोई घटना नहीं हुई है, हालांकि बाद में नेहरू ने इसके लिए माफ़ी मांगी थी।

 

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