लखनऊ : उत्तरप्रदेश के कानपुर के समाज कल्याण विभाग से चौकाने वाला मामला सामने आया है। जहां पिछले 3 महीन से 2 संविदा कर्मचारी ने एक- एक करके तमाम फाइलों को कबाड़ की दुकान पर बेच कर शराब पीते रहें। हैरान करने वाली बात ये है कि किसी भी अधिकारी को इस बात की भनक […]
लखनऊ : उत्तरप्रदेश के कानपुर के समाज कल्याण विभाग से चौकाने वाला मामला सामने आया है। जहां पिछले 3 महीन से 2 संविदा कर्मचारी ने एक- एक करके तमाम फाइलों को कबाड़ की दुकान पर बेच कर शराब पीते रहें। हैरान करने वाली बात ये है कि किसी भी अधिकारी को इस बात की भनक तक नहीं लगी। वहीं जब इस बात से परदा उठा तो सबके पैरों तले की जमीन खिसक गई
शराबियों की ये करतूत बहुत ही शर्मनाक थी। उत्तर प्रदेश के कानपुर में समाज कल्याण विभाग के दो सफाई कर्मचारियों ने शराब पीने की लत में रिकॉर्ड रूम के दस्तावेजों को ही कबाड़ में बेच डाले।जानकारी के अनुसार इन दोनों कर्मचारियों ने तीन महीने में छह साल के रिकॉर्ड की सारी फाइलें कबाड़ी को बेच दीं। मामला सामने आने पर आरोपी कर्मचारियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने की बात कही जा रही है।
इस पूरे मामले में मुख्य विकास अधिकारी सुधीर कुमार ने बताया हैं कि रिकॉर्ड रूम से 6 साल पुरानी सभी फाइलों को गायब होना गंभीर मामला है। वहीं समाज कल्याण अधिकारी त्रिनेत्र सिंह ने आदेश जारी किया है कि दोनों सफाई कर्मचारी के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया जाए
बता दें, एक दिन जब विभाग वृद्धावस्था पेंशन पारिवारिक लाभ के सारे रिकॉर्ड सुरक्षित करने का काम चल रहा था। तभी फाइलों के गायब होने की बात सामने आई है। पूछताछ के दौरान दोनों आरोपियों ने अपना गुनाह कबूल कर लिया है। मामला का खुलासा होने के बाद अधिकारियों ने तुरंत संपर्क किया। जहां फिलहाल विभाग को कुछ फाइल मिल गई है। ये फाइले सिर्फ 2023 में कराए जा रहे सत्यापन की हैं। इसके अलावा सभी पुरानी फाइले गायब है।
समाज कल्याण विभाग के जिन सफाई कर्मचारियों फाइले बेचने का आरोप लगा है, उनके नाम मोहन और रमेश है। दोनों ही संविदा पर चतुर्थ श्रेणी के कर्मचारी हैं। दोनों सफाई कर्मचारियों को शराब पीने की लत थी। जानकारी के अनुसार दोनों आरोपी फाइलों को तोल के हिसाब से कबाड़ी को बेचा करते थे। इसके बदले शराब खरीद कर पीते थे।
इस घटना ने विभाग के सभी अधिकारियों की आंखे खोल दी है। वहीं अधिकारियों ने इस बात का खुलासा किया कि पारिवारिक लाभ योजना यूपी नेडा कार्यालय की भी फाइलें गायब हैं। पूरे विभाग में दहशत का महौल है।
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