देहरादून। उत्तराखंड सरकार ने राज्य में समान नागरिक संहिता को लागू करने के लिए कदम उठाए हैं। सरकार ने मसौदा समिति की घोषणा की है। इस कमेटी की अध्यक्षता सुप्रीम कोर्ट की रिटायर्ड जस्टिस रंजना प्रकाश देसाई करेंगी। ये हैं मसौदा समिति के अन्य सदस्य चार अन्य सदस्यों में दिल्ली उच्च न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायाधीश […]
देहरादून। उत्तराखंड सरकार ने राज्य में समान नागरिक संहिता को लागू करने के लिए कदम उठाए हैं। सरकार ने मसौदा समिति की घोषणा की है। इस कमेटी की अध्यक्षता सुप्रीम कोर्ट की रिटायर्ड जस्टिस रंजना प्रकाश देसाई करेंगी।
चार अन्य सदस्यों में दिल्ली उच्च न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायाधीश प्रमोद कोहली, राज्य के पूर्व मुख्य सचिव शत्रुघ्न सिंह के अलावा टैक्स पेयर्स एसोसिएशन के मनु गौर और शिक्षाविद् सुरेखा डंगवाल शामिल हैं। समिति समान नागरिक संहिता का मसौदा तैयार करेगी।
पुष्कर सिंह धामी सरकार ने उत्तराखंड में समान नागरिक संहिता लागू करने का संकल्प लिया था। 24 मार्च को हुई कैबिनेट की पहली बैठक में मुख्यमंत्री की इस चुनाव पूर्व घोषणा को ठोस रूप देने का अहम फैसला लिया गया। मुख्यमंत्री धामी ने कहा था कि सरकार संविधान में दिए गए अधिकार का इस्तेमाल कर यह कदम उठा रही है।
समान नागरिक संहिता का अर्थ है भारत में रहने वाले प्रत्येक नागरिक के लिए समान कानून। व्यक्ति चाहे किसी भी धर्म या जाति का हो। समान नागरिक संहिता के तहत विवाह, तलाक और संपत्ति के बंटवारे में सभी धर्मों पर एक कानून लागू होगा। यह एक धर्मनिरपेक्ष कानून है, जो सभी पर समान रूप से लागू होता है।
अभी देश में मुसलमानों, ईसाइयों और पारसियों का पर्सनल लॉ लागू है। हिंदू सिविल लाइन के तहत सिख और जैन हिंदू नागरिक कानून के तहत आते हैं, जबकि संविधान समान नागरिक संहिता के अनुच्छेद 44 के तहत राज्य की जिम्मेदारी बताता है। इसे आज तक देश में लागू नहीं किया गया है। इस कानून पर लगातार बहस चल रही है।
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