डॉक्टर गाना सुनते-सुनते करते है ऑपरेशन, सामने आई चौकाने वाली वजह

डॉक्टर प्रधान के ऑपरेशन थिएटर में शास्त्रीय संगीत हमेशा बजता रहता है। उनका मानना है कि संगीत से उन्हें सुकून मिलता है, जिससे उनका काम करने में मन कागता है और ऑपरेशन सक्सेसफुल होते हैं। मेडिकल की पढ़ाई के दौरान, उन्होंने हार्ट सर्जन बनने का सपना देखा। इसके बाद उन्होंने फिलीपींस, इंग्लैंड और ऑस्ट्रेलिया में डॉक्टरी की पढ़ाई पूरी की।

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डॉक्टर गाना सुनते-सुनते करते है ऑपरेशन, सामने आई चौकाने वाली वजह

Yashika Jandwani

  • November 16, 2024 5:10 pm Asia/KolkataIST, Updated 5 hours ago

पटना: डॉक्टर को धरती पर भगवान का रूप माना जाता है और पटना के प्रसिद्ध हार्ट सर्जन डॉक्टर अजीत प्रधान ने इस कहावत को सिद्ध कर दिया है। उन्होंने 10,000 से अधिक सफल ऑपरेशन किए हैं, लेकिन उनका काम करने का स्टाइल उन्हें दूसरों से अलग बनाता है। डॉक्टर प्रधान के ऑपरेशन थिएटर में शास्त्रीय संगीत हमेशा बजता रहता है। उनका मानना है कि संगीत से उन्हें सुकून मिलता है, जिससे उनका काम करने में मन कागता है और ऑपरेशन सक्सेसफुल होते हैं।

डॉक्टर बनने की प्रेरक यात्रा

डॉ. अजीत प्रधान के बचपन के दिन संघर्ष के थे। पढ़ाई में कमजोर होने के बावजूद, उनके पिता ने उन्हें हमेशा प्रोत्साहित किया है। स्कूल के दिनों में उनकी रैंक में सुधार हुआ और उनकी मेहनत ने वह मेडिकल कॉलेज पहुंचे। मेडिकल की पढ़ाई के दौरान, उन्होंने हार्ट सर्जन बनने का सपना देखा। इसके बाद उन्होंने फिलीपींस, इंग्लैंड और ऑस्ट्रेलिया में डॉक्टरी की पढ़ाई पूरी की।

बचपन से संगीत से जुड़े

डॉक्टर प्रधान का संगीत से जुड़ाव उनके नाना और मां से प्रेरित है। उनके नाना, बृज कुमार सहाय और मां, रमारानी प्रधान, शास्त्रीय संगीत के शौकीन थे। बचपन से ही उन्होंने राग मालकौंस और चैती जैसे संगीत सीखे। आज, उनके ऑपरेशन थिएटर में राग भीमपलासी, राग बागेश्वरी और राग यमन जैसे शास्त्रीय संगीत बजते हैं। वह ऑपरेशन की शुरुआत पंडित जसराज की आवाज में ओम नमो भगवते वासुदेवाय से करते हैं।

खोला म्यूजिक स्कूल

डॉ. अजीत प्रधान ने शास्त्रीय संगीत को बढ़ावा देने के लिए 2009 में ‘नवरस स्कूल ऑफ परफॉर्मिंग आर्ट्स’ की स्थापना की। इस मंच पर कुमार गंधर्व की बेटी कलापिनी कोमकली, विनय सहस्त्रबुद्धे, पंडित राजन-साजन मिश्रा और उस्ताद तारी खान जैसे कलाकारों ने अपनी प्रस्तुति दी। वहीं डॉ. प्रधान कहते हैं, डॉक्टरी और संगीत मेरे जीवन के दो अभिन्न हिस्से हैं। जब तक मेरी सांसें चलेंगी, संगीत और सेवा का यह सिलसिला यूं ही चलता रहेगा। उनकी कहानी न केवल प्रेरणा देती है, बल्कि यह दिखाती है कि संगीत और विज्ञान का तालमेल कैसे जीवन को और भी बेहतर बना सकता है।

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