डॉ.कृष्ण प्रसाद रामासय दक्षिण भारत के तमिलनाडु से ताल्लुक रखते थे और उन्हें हिंदी की जानकारी नहीं थी. उन्होंने पीजीआई में बतौर जूनियर डॉक्टर जॉइन किया था.
चंडीगढ़.हरियाणा के पीजीआई चंडीगढ़ में एक जूनियर रेजिडेंट डॉक्टर द्वारा सोमवार को खुदकुशी करने के बाद देश भर के कुछ राज्यों में हिंदी विरोध पर सवालिया निशान खड़े हो गए हैं. डॉ.कृष्ण प्रसाद रामासय दक्षिण भारत के तमिलनाडु से ताल्लुक रखते थे और उन्हें हिंदी की जानकारी नहीं थी. डॉ.रामासय की मां भुवनेश्वरी ने कहा कि हिंदी की जानकारी न होने के कारण बेटा काफी वक्त से परेशानी में था. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक डॉ.रामासय ने रविवार शाम को अपनी मां को फोन कर घर वापस आने की बात कही थी.
रामासय ने मां से कहा था कि उसे हिंदी न आने की वजह से काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है. भुवनेश्वरी ने कहा, मेरा बेटा काफी वक्त से घर वापस आने को बोल रहा था. रविवार को जब उसने फोन किया, तब भी यही कहा था. लेकिन हमने उससे यही कहा कि मेरिट में सीट मिलने के कारण उसे एेसे वापस लौटना नहीं चाहिए.
गौरतलब है कि 24 वर्षीय डॉ. रामासय पीजीआई में बतौर जूनियर डॉक्टर नियुक्त हुए थे. वह यहां रेडियोलॉजी विभाग में कार्यरत थे. वह मेडिकल में टॉपर थे और मेडिसिन में एडमिशन मिला था. एम्स पीजीआई के एंट्रेंस में टॉप करने के बाद वह पहली बार पिछले साल नवंबर में चंडीगढ़ आए थे, लेकिन भाषा की दिक्कत और घर से दूर होने के कारण वह तनाव में आ गए और घर लौट गए. इसके बाद पिछले महीने उन्होंने पीजीआई में दोबारा जॉइन किया था.इसके अलावा पुलिस लव एंगल से भी मामले की जांच में जुटी है. बता दें कि चंडीगढ़ पीजीआई में 56 फीसदी डॉक्टर दक्षिण भारत से हैं. एेसे में पंजाब, यूपी, जम्मू-कश्मीर के मरीजों से बात करना उनके लिए बड़ी समस्या खड़ी कर देती है.
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