प्रयागराज: अतीक अहमद और उनके भाई अशरफ को कल यानी रविवार (16 अप्रैल ) को प्रयागराज के कसारी-मसारी कब्रिस्तान में दफनाया गया । 15 अप्रैल की रात प्रयागराज में अतीक और उसके भाई अशरफ की सरेआम हत्या कर दी गई थी। हत्या करने वाले तीन आरोपी मीडियाकर्मी बनकर पहुंचे थे। इस शूटआउट में करीब 18 […]
प्रयागराज: अतीक अहमद और उनके भाई अशरफ को कल यानी रविवार (16 अप्रैल ) को प्रयागराज के कसारी-मसारी कब्रिस्तान में दफनाया गया । 15 अप्रैल की रात प्रयागराज में अतीक और उसके भाई अशरफ की सरेआम हत्या कर दी गई थी। हत्या करने वाले तीन आरोपी मीडियाकर्मी बनकर पहुंचे थे। इस शूटआउट में करीब 18 गोलियां चलीं। गोली मारने के बाद तीनों आरोपितों ने सरेंडर कर दिया था। पुलिस फिलहाल तीनों से पूछताछ कर रही है। तीनों को 16 अप्रैल को कोर्ट में पेश किया गया। कोर्ट ने तीनों को 14 दिन की न्यायिक हिरासत में भेज दिया।
लेकिन अतीक-अशरफ की हत्या के करीब दो दिन बाद भी कई सवाल अनसुलझे है। हमलावर एक साथ कैसे आए? किसने बनाया था हादसे को अंजाम देने का प्लान? क्या इस प्लानिंग में कोई और शामिल है? भारत में बैन पिस्टल कहां से आती है? ऐसे तमाम तरह के सवाल है जो इस वक़्त मीडिया में गर्दिश कर रहे हैं, जिनके जवाब पुलिस की जांच और छानबीन के बाद ही सामने आ पाएंगे। ऐसे में अतीक-अशरफ शूटआउट से जुड़े उन सवालों से रूबरू होते हैं जिनके जवाब मिलना अभी बाकी है।
अतीक अहमद और उसके भाई अशरफ की सरेआम हत्या करने वाले तीनों आरोपी खुद को पत्रकार बता रहे थे। इसके नाम है: अरुण मौर्य, सनी और लवलेश तिवारी। सनी हमीरपुर, अरुण उर्फ कालिया कासगंज और लवलेश तिवारी बांदा जिले से आते हैं। बड़ा और अधिक माकूल सवाल यह उठता है कि तीनों एक साथ कैसे आए? क्या तीनों एक-दूसरे को जानते थे या किसी खास शख्स ने उन्हें साथ लाने में मदद की?
जिस तरह से इस पूरे शूटआउट को अंजाम दिया गया, उससे यह साफ़ है कि इसकी प्री-प्लानिंग की गई थी। खुद को पत्रकार बता कर जाना…. पुलिस को चकमा देना, फिर कैमरे और माइक का जुगाड़ करना। ऐसे सवाल भी उठ रहे हैं कि कहीं तीनों अपराधियों की आड़ में कहीं कोई और इस घटना का मास्टरमाइंड तो नहीं? यदि हां, तो कौन हो सकता है? सवाल का जवाब पहेली बना हुआ है।
मिली जानकारी के मुताबिक, हमलावरों ने पुलिस को दिए बयान में कहा कि मशहूर होने और अपना खौफ कायम करने के लिए उन्होंने हत्या को अंजाम दिया। लेकिन क्या यह सब सिर्फ नाम कमाने के लिए है? बिना किसी पैसे के लाभ के कोई कैसे फायरिंग और शूट की तैयारी कर सकता है? यह सवाल वाजिब भी है। यह भी जायज है कि अगर किसी ने पैसे के लाभ देने की बात कही तो वह सुपारी किसने दी? कौन था वो जो इस कड़ी को पिरोने का काम कर रहा था?
हत्या से कुछ मिनट पहले अतीक और अशरफ हथकड़ी से बंधे साथ-साथ चल रहे थे। इन्हीं के साथ चल रहे थे मीडिया के कैमरे और माइक। सवाल-जवाब का दौर चल रहा था। इसी बीच अशरफ के मुंह से गुड्डू मुस्लिम का नाम निकल गया। जिसके तुरंत बाद बाद गोली चल गई। अशरफ ने कहा था, ‘मेन बात ये है कि गुड्डू मुस्लिम’.. और बस पिस्टल से ताबड़तोड़ गोलियां चलने लगी। आखिर क्या थी वो मेन बात…? क्या गुड्डू मुस्लिम के बारे में कुछ खुलासा करने वाला था अशरफ? क्या गुड्डू मुस्लिम का ठिकाना बताने वाला था अशरफ? अशरफ के मुंह से वो मेन बात क्या थी जो निकलते-निकलते रह गई?
पुलिस जांच व पूछताछ के दौरान आरोपी के पास से तीन पिस्टल बरामद हुई है। पहली कंट्री मेड पिस्टल है। दूसरी 9MM पिस्टल गिरसान (तुर्की मेड) है। इसके साथ तीसरी, 9MM पिस्टल ज़िगाना (तुर्की मेड) है। सवाल यह है कि इन आरोपितों के पास इतने आधुनिक हथियार कैसे आए? इसके साथ ही आरोपी सन्नी के सुंदर भाटी से कनेक्शन होने का मामला भी सामने आया। क्या सुंदर भाटी ने इन हथियारों की सप्लाई की थी? पुलिस के मुताबिक हथियारों की कीमत 6-7 लाख रुपये होगी। नौसिखिए से दिखने वाले आरोपियों के पास इतना महंगा हथियार कैसे पहुंचा?
पुलिस अपनी जांच में इन सभी सवालों के जवाब तलाशने की कोशिश कर रही है। राज्य सरकार ने जांच के लिए एक न्यायिक आयोग का भी गठन किया है। बंदूकों के एंगल से लेकर गुड्डू मुस्लिम एंगल तक हर तरह की तहकीकात जारी है। ऐसे में हमें देखना होगा कि नतीजा क्या निकलता है।