लखनऊ: हापुड़ में मेडिकल कॉलेज प्रबंधन पर जबरन कार्रवाई करने के लिए पूरी फौज भेजने के मामले में डीजीपी ने नाराजगी जाहिर की है. उन्होंने इस मामले में एसपी अभिषेक वर्मा व एएसपी का तबादला कर दिया गया है. डीजीपी ने सभी एडीजी जोन और एसपी को निर्देश जारी करते हुए कहा कि थानों में सिविल के मामलों को अपराधिक रंग देकर केस दर्ज कराई जा रही है. इस पर तत्काल रोक लगाई जाए.
वहीं गुरुवार को डीजीपी प्रशांत कुमार ने कहा कि जो मामला सिविल जोन में होते हैं, उन्हें आपराधिक रूप देते हुए केस दर्ज की जा रही है. इसके अलावा प्रतिष्ठानों, संस्थानों में कोई आकस्मिक घटना होने पर जिम्मेदार व्यक्तियों के अलावा मैनेजमेन्ट स्तर के लोगों को भी एफआईआर में शामिल कर दिया जाता है, जिनका उस घटना से कोई लेना-देना नहीं होता है.
डीजीपी प्रशांत कुमार ने कहा कि न्यायिक प्रक्रिया का दुरुपयोग कर निर्दोष व्यक्तियों के खिलाफ निराधार एफआईआर दर्ज किया जाना शासन की प्रदेश में उद्यमियों को आमंत्रित करने और व्यापार करने में आसानी को बढ़ावा देने की नीति के खिलाफ है. इस तरह की घटनाओं से यूपी में व्यवसायी निवेश करने से हतोत्साहित हो सकते हैं.
डीजीपी प्रशांत कुमार ने सभी पुलिस कप्तानों को सुप्रीम कोर्ट का निर्देश भी याद दिलाया है जिसमें कहा गया है कि व्यापारिक अपराध, चिकित्सीय लापरवाही के प्रकरण, भ्रष्टाचार के प्रकरण और वैवाहिक व पारिवारिक विवाद जैसे प्रकरण में केस दर्ज कराने में अस्वाभाविक देरी हुई तो पहले जांच कराई जा सकती है.
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