Demotion Case : ज्यादा पढ़ने से हुआ डिमोशन, हाई कोर्ट से मिली शिक्षकों को राहत

नई दिल्लीः यह मामला गुजरात के भावनगर शहर का है। जहां अपने अधिकारियों से इजाजत लिए बिना हायर एजुकेशन के लिए कदम बढ़ाना तीन प्राइमरी टीचर्स को भारी पड़ गया था। उन तीनों ने ग्रेजुएशन और पोस्ट ग्रेजुएशन की डिग्री के लिए परमिशन नहीं ली थी और सजा के तौर पर तीनों का प्रमोशन भी […]

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Demotion Case : ज्यादा पढ़ने से हुआ डिमोशन, हाई कोर्ट से मिली शिक्षकों को राहत

Janhvi Srivastav

  • January 17, 2024 8:50 pm Asia/KolkataIST, Updated 10 months ago

नई दिल्लीः यह मामला गुजरात के भावनगर शहर का है। जहां अपने अधिकारियों से इजाजत लिए बिना हायर एजुकेशन के लिए कदम बढ़ाना तीन प्राइमरी टीचर्स को भारी पड़ गया था। उन तीनों ने ग्रेजुएशन और पोस्ट ग्रेजुएशन की डिग्री के लिए परमिशन नहीं ली थी और सजा के तौर पर तीनों का प्रमोशन भी रोक दिया गया था। जिसके बाद उन्होंने अदालत का दरवाजा खटखटाया। वहीं अब इस मामले में अदालत(Demotion Case) ने तीनों शिक्षकों को बड़ी राहत देते हुए उनके प्रमोशन पर लगी रोक हटाने का आदेश दिया है।

क्या है पूरा मामला ?

बता दें कि गुजरात के भावनगर शहर में नगर पालिका बोर्ड के स्कूल में सावजी परमार, मगन डोडिया और हरेश राजगुरु ने 1980 से 1990 के दौरान सेवाएं दी थीं। उस समय प्राइमरी टीचर की पोस्ट के लिए जरूरी योग्यता प्राइमरी टीचिंग में सर्टिफिकेट कोर्स के साथ सिर्फ सेकेंडरी स्कूलिंग थी। वहीं कुछ समय बाद राज्य सरकार ने नियमों में बदलाव किया और प्रमोशन के लिए मानक तय कर दिए, तो ऐसे में तीनों ने हेड टीचर(Demotion Case) बनने के लिए जरूरी हेड टीचर्स एप्टीट्यूड टेस्ट क्लियर कर लिया और 2012 के दौरान उन्हें प्रमोट कर दिया गया।

2023 में लगा झटका

साल 2023, 8 दिसंबर के दिन भावनगर टाउन एजुकेशन कमेटी ने तीनों का प्रमोशन रद्द कर दिया और उन्हें उनकी वास्तविक पोस्ट प्राइमरी टीचर को डिमोट कर दिया था और इन तीनों को यह सजा विभाग की इजाजत लिए बिना हायर एजुकेशन हासिल करने के चलते दी गई।

खटखटाया अदालत का दरवाजा

इसके बाद तीनों ने गुजरात हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया। इनके वकीलों ने अदालत को बताया कि तीनों शिक्षकों ने हायर स्टडी करने के लिए इजाजत मांगी थी, पर अथॉरिटी ने डोडिया और परमार की अर्जी पर कोई सुनवाई नहीं की। साल 1988 में राजगुरु को ग्रेजुएशन करने की इजाजत दे दी गई थी। वहीं 2010 के दौरान इन्होंने मास्टर्स की डिग्री हासिल की थी और ऐसे में राजगुरु को भी सजा दी गई।

अदालत ने यह फैसला सुनाया

बता दें कि जस्टिस निखिल करेल की बेंच ने इस मामले की सुनवाई की और तीनों शिक्षकों परमार,डोडिया और राजगुरु को बतौर हेड टीचर जॉब करने का आदेश दिया। वहीं अदालत ने इस मामले में संबंधित अथॉरिटी को नोटिस भी जारी किया है।

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