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पूरे देश में मचेगा बवाल…, कोर्ट में पेश होगी PM मोदी की डिग्री !

PM मोदी की डिग्री देखने के लिए हर कोई बेचैन हैं। ऐसे एक RTI से DU कोर्ट तक जा पंहुचा है। ऐसे में सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कोर्ट के समक्ष RTI पर बड़ी टिप्पणी की है।

PM Modi's degree
inkhbar News
  • February 27, 2025 10:47 pm Asia/KolkataIST, Updated 2 months ago

नई दिल्ली: आज यानी गुरुवार को दिल्ली विश्वविद्यालय (डीयू) ने दिल्ली हाईकोर्ट से कहा कि वह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की डिग्री से जुड़े अपने रिकॉर्ड कोर्ट को दिखाने के लिए तैयार है, लेकिन आरटीआई के तहत किसी अजनबी को इसे नहीं बताएगा। सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने न्यायमूर्ति सचिन दत्ता के समक्ष यह दलील दी, जिसके बाद कोर्ट ने प्रधानमंत्री की स्नातक की डिग्री से जुड़ी जानकारी का खुलासा करने के केंद्रीय सूचना आयोग (CIC ) के आदेश के खिलाफ डीयू की याचिका पर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया।

दिल्ली विश्वविद्यालय की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कोर्ट से कहा कि हम रिकॉर्ड कोर्ट को दिखा सकते हैं, लेकिन उन लोगों को इसे नहीं बताएंगे जो सिर्फ प्रचार या राजनीतिक मकसद से पीएम की डिग्री सार्वजनिक करने की मांग कर रहे हैं।

कोई आपत्ति नहीं

उन्होंने कहा कि दिल्ली विश्वविद्यालय को पीएम की डिग्री और उससे जुड़े रिकॉर्ड हाईकोर्ट को दिखाने में कोई आपत्ति नहीं है। पीएम ने वर्ष 1978 में बैचलर ऑफ आर्ट्स की डिग्री ली है। जबकि केंद्र सरकार ने हाईकोर्ट से कहा कि अगर याचिकाकर्ता की मांग के मुताबिक आरटीआई नियम लागू किया गया तो सार्वजनिक प्राधिकरणों के लिए काम करना मुश्किल हो जाएगा।

दिल्ली हाईकोर्ट ने इस मामले में फैसला सुरक्षित रख लिया है। सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि सीआईसी के आदेश को रद्द किया जाना चाहिए। हालांकि मेहता ने कहा कि डीयू को कोर्ट को रिकॉर्ड दिखाने में कोई आपत्ति नहीं है।

क्या पूरा मामला

आपको बता दें कि नीरज नाम के एक व्यक्ति द्वारा आरटीआई आवेदन के बाद केंद्रीय सूचना आयोग (सीआईसी) ने 21 दिसंबर, 2016 को 1978 में बीए की परीक्षा पास करने वाले सभी छात्रों के रिकॉर्ड की जांच करने की अनुमति दी थी, जिस साल प्रधानमंत्री मोदी ने भी यह परीक्षा पास की थी। हालांकि, हाईकोर्ट ने 23 जनवरी, 2017 को सीआईसी के आदेश पर रोक लगा दी थी।

निजी जानकारी मांगने का अधिकार नहीं

11 फरवरी को डीयू ने दलील दी कि उसके पास जिम्मेदाराना हैसियत से जानकारी है और किसी को भी जनहित के अभाव में महज जिज्ञासा के कारण आरटीआई अधिनियम के तहत निजी जानकारी मांगने का अधिकार नहीं है। उसने कहा कि प्रधानमंत्री सहित 1978 में बीए की परीक्षा पास करने वाले सभी छात्रों के रिकॉर्ड मांगकर आरटीआई अधिनियम का मजाक उड़ाया गया है।

 

 

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