दिल्ली मार्च शुरू होने के करीब साढ़े तीन घंटे बाद किसान शंभू बॉर्डर से पीछे हट रहे हैं। किसान नेता सरवन सिंह ने कहा कि हमारे कई नेता घायल हुए हैं। हम जत्थे को वापस बुला रहे हैं। मार्च पर फैसला बाद में लिया जाएगा।
नई दिल्ली : किसान विभिन्न मांगों को लेकर प्रदर्शन कर रहे हैं। किसानों को दिल्ली की ओर बढ़ने से पहले ही शंभू बॉर्डर पर रोक दिया गया है। दिल्ली मार्च शुरू होने के करीब साढ़े तीन घंटे बाद किसान शंभू बॉर्डर से पीछे हट रहे हैं। किसान नेता सरवन सिंह ने कहा कि हमारे कई नेता घायल हुए हैं। हम जत्थे को वापस बुला रहे हैं। मार्च पर फैसला बाद में लिया जाएगा।
पिछले 9 महीने से पंजाब-हरियाणा बॉर्डर पर डेरा जमाए बैठे किसानों ने दोपहर 1 बजे 101 किसानों के जत्थे को दिल्ली के लिए रवाना किया। इसके बाद किसानों ने बैरिकेड्स और कंटीले तारों को उखाड़ दिया। इसके बाद हरियाणा पुलिस ने उन्हें चेतावनी दी और आंसू गैस के गोले दागे, इसमें 7 किसान घायल हुए हैं।
दिल्ली की तरफ रवाना होने वाले 101 किसानों को सबसे पहले शंभु बॉर्डर पर चल रहे मोर्च में पंडाल में बैठाया गया। इसके बाद उन्हें नमक दिया गाय ताकि अगर उन पर आंसू गैस के गोले छोड़े गए तो सांस लेने में दिक्कत ना हो। दरअसल, आंसू गैस के गोले छोड़ने के बाद सांस लेने में दिक्कत होती है। ऐसे में अगर नमक खाते हैं तो राहत मिलती है।
अब सवाल यह उठता है कि 3 कृषि कानूनों को निरस्त कर दिया गया था फिर किसान क्यों आंदोलन कर रहे है ? तो यह पर किसानों की मांगे है की MSP गारंटी पर कानून बनाया जाए। किसानों का कहना है कि फसलों का मूल्य स्वामीनाथन आयोग की रिपोर्ट के आधार पर तय किया जाना चाहिए। किसान चाहते हैं कि भूमि अधिग्रहण कानून 2013 को फिर से लागू किया जाए।
किसानों ने 2021 में 3 कृषि कानूनों को निरस्त करवा लिया था। यह देश के इतिहास का सबसे लंबा किसान आंदोलन साबित हुआ था। 17 सितंबर 2020 को लागू किए गए 3 कृषि कानूनों के विरोध में दिल्ली की सीमाओं पर शुरू हुआ था। पंजाब से भड़की आंदोलन की चिंगारी पूरे देश में फैल गई थी। हजारों किसानों ने ‘दिल्ली चलो’ अभियान के तहत कानून को पूरी तरह से निरस्त करने की मांग को लेकर दिल्ली कूच किया था। पंजाब, हरियाणा, यूपी, राजस्थान और देश के अन्य राज्यों के किसानों ने 378 दिनों तक दिल्ली की घेराबंदी की थी।
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