मुस्लिमों को भूलना पड़ सकता है महंगा, 60 वार्डों की चाबी इनके पास

नई दिल्ली. दिल्ली नगर निगम (एमसीडी) चुनाव में पुरानी दिल्ली और उत्तर-पूर्वी दिल्ली के कुछ इलाकों में मुस्लिम मतदाता बहुत ही अहम भूमिका निभाते हैं, फ़िलहाल मतगणना की जा रही है और इस चुनाव में भी मुस्लिम मतदाताओं का बहुत ही खास रोल रहने वाला है. राजधानी दिल्ली में मुसलमानों की आबादी लगभग 13 फीसदी […]

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मुस्लिमों को भूलना पड़ सकता है महंगा, 60 वार्डों की चाबी इनके पास

Aanchal Pandey

  • December 7, 2022 9:46 am Asia/KolkataIST, Updated 2 years ago

नई दिल्ली. दिल्ली नगर निगम (एमसीडी) चुनाव में पुरानी दिल्ली और उत्तर-पूर्वी दिल्ली के कुछ इलाकों में मुस्लिम मतदाता बहुत ही अहम भूमिका निभाते हैं, फ़िलहाल मतगणना की जा रही है और इस चुनाव में भी मुस्लिम मतदाताओं का बहुत ही खास रोल रहने वाला है. राजधानी दिल्ली में मुसलमानों की आबादी लगभग 13 फीसदी के करीब है तो वहीं एमसीडी की लगभग 60 ऐसी सीटें हैं जहां मुस्लिम मतदाताओं के मत हार-जीत का फैसला करते हैं. इसी कड़ी में, हर बार की तरह इस बार भी सभी राजनीतिक दलों ने मुस्लिम उम्मीदवारों पर दांव लगाया है. कांग्रेस ने जहां अल्पसंख्यक समुदाय से 24 उम्मीदवारों को टिकट दिया जबकि आम आदमी पार्टी ने 7 और भाजपा ने सिर्फ 4 मुस्लिम चेहरों पर भरोसा जताया है.

दिल्ली की मुस्लिम बहुल सीटें

बता दें कि दिल्ली नगर निगम की लगभग 60 ऐसी सीटें हैं जो मुस्लिम बाहुल्य मानी जाती हैं, इन सीटों पर मुस्लिमों का दबदबा है. ये सीटें हैं ओखला, सीलमपुर, जाफराबाद, पुरानी दिल्ली, सोनिया विहार और भजनपुरा. इसके अलावा शकूरपुर बस्ती, चांदनी चौक, माटिया महल और बुराड़ी इलाके की दो सीटों पर मुस्लिम मतदाताओं की संख्या ज्यादा है. वहीं, अगर अन्य क्षेत्रों की बात करें तो बाबरपुर, लक्ष्मी नगर और कृष्णा नगर इलाकों में भी मुस्लिम मतदाताओं का अच्छा प्रभाव है.

नगर निगम चुनाव में हमेशा भाजपा को मुस्लिम वोटरों के प्रभाव वाली सीटों पर काफी मशक्कत करनी पड़ती है, इस बार भाजपा ने चार मुस्लिम कैंडिडेट मैदान में उतारे हैं. जबकि 2017 के नगर निगम चुनाव में पार्टी ने 6 मुस्लिम उम्मीदवारों को उतारा था, बता दें इस बार पार्टी ने मुस्ताफाबाद से शबनम मलिक, चांदनी महल से हरफान मलिक, कुरैश नगर वेस्ट से शमीन रजा कुरैशी और चौहान बांगर से सबा गाजी को मैदान में उतारा है. वहीं, पार्टी ने इस बार पसमांदा मुस्लिमों पर भी भरोसा जताया है, इसके अलावा 2 तेली, एक कुरैशी और एक घोसी को चुनावी मैदान में उतारा.

 

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