दिल्ली: मनीष सिसोदिया का दावा- LG की मंजूरी से बनी थी नई शराब पॉलिसी, जांच के लिए CBI को लिखा पत्र

नई दिल्ली। राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली के डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया ने आबकारी नीति को लेकर शनिवार यानी आज एक प्रेस कॉन्फ्रेंस की। जिसमें उन्होंने नई शराब नीति को लेकर कई खुलासे किए. उन्होंने कहा कि दिल्ली में नई एक्साइज पॉलिसी को रोक कर सरकार को नुकसान पहुंचाया गया. अचानक से पॉलिसी में बदलाव किया गया। […]

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दिल्ली: मनीष सिसोदिया का दावा- LG की मंजूरी से बनी थी नई शराब पॉलिसी, जांच के लिए CBI को लिखा पत्र

Mohmmed Suhail Mewati

  • August 6, 2022 2:18 pm Asia/KolkataIST, Updated 2 years ago

नई दिल्ली। राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली के डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया ने आबकारी नीति को लेकर शनिवार यानी आज एक प्रेस कॉन्फ्रेंस की। जिसमें उन्होंने नई शराब नीति को लेकर कई खुलासे किए. उन्होंने कहा कि दिल्ली में नई एक्साइज पॉलिसी को रोक कर सरकार को नुकसान पहुंचाया गया. अचानक से पॉलिसी में बदलाव किया गया। एलजी साहब ने अगर अपना निर्णय नहीं बदला होता तो सरकार को करोड़ों का फायदा होता. उन्होंने कहा कि एलजी ने अपना फैसला क्यों बदला, इस पूरे मामले की जांच होनी चाहिए. इसलि हमने जांच के लिए सीबीआई को पत्र लिखा है. हम मामले को सीबीआई के पास भेज रहे हैं.

सीबीआई को लिखा पत्र

बता दें कि राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली के डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया ने आबकारी नीति को लेकर शनिवार यानी आज एक प्रेस कॉन्फ्रेंस कर नई शराब नीति को लेकर कई खुलासे किए. उप मुख्यमंत्री ने कहा कि अनधिकृत क्षेत्रों में शराब की दुकानें खोलने पर एलजी के रुख में बदलाव की जांच के लिए हमने सीबीआई को लिखा है. हम इस मामले को सीबीआई के पास भेज रहे हैं. आखिर अचानक किसके कहने पर एलजी ने अपना फैसला क्यों बदला, इस पूरे मामले की जांच होनी चाहिए.

48 घंटे पहले फैसला क्यों बदला

दिल्ली के डिप्टी सीएम सिसोदिया ने कहा कि यह पूरा मामला हम सीबीआई को भेज रहे हैं. अगर यह निर्णय बदला नहीं गया होता तो आज सरकार को करोड़ों रुपए का फायदा होता. सवाल यह है कि 48 घंटे पहले यह फैसला क्यों बदला गया.

सरकार को करोड़ो का नुकसान हुआ- डिप्टी सीएम

गौरतलब है कि राजधानी के डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया ने आरोप लगाया कि दिल्ली के उपराज्यपाल ने बिना सरकार और कैबिनेट से चर्चा के फैसला बदल दिया। साथ ही उन्होंने कहा कि अगर एलजी ऑफिस ने निर्णय नहीं बदला होता तो सरकार को हजारों करोड़ों का नुकसान नहीं होता।

 

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