दिल्ली HC का फैसला: अन्य राज्यों के जाति प्रमाण पत्र पर भी मिलेगा आरक्षण

नई दिल्ली: दिल्ली उच्च न्यायालय ने एक महत्वपूर्ण फैसले में कहा है कि दिल्ली प्रवासियों की है और जाति प्रमाण पत्र किसी अन्य राज्य द्वारा जारी किया गया हो, तो भी आरक्षण का लाभ देने से इनकार नहीं किया जा सकता। यह टिप्पणी दिल्ली अधीनस्थ सेवा चयन बोर्ड (डीएसएसबी) की याचिका पर सुनवाई के दौरान की गई, जिसमें केंद्रीय प्रशासनिक अधिकरण (कैट) के आदेश को चुनौती दी गई थी।

 

क्या था क्या मामला

 

दिल्ली सरकार के स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग द्वारा ‘स्टाफ नर्स’ की नौकरी के लिए जारी विज्ञापन के बाद एक कैंडिडेट ने आवेदन किया था। इस दौरान कैंडिडेट को आरक्षित श्रेणी के तहत चुना नहीं किया गया था. इसका कारण कैंडिडेट का जाति प्रमाण पत्र राजस्थान का बताया गया था। इसके बाद कैंडिडेट ने कैट का दरवाजा खटखटाया, जिसने उसे राहत देते हुए अधिकारियों को निर्देश दिया कि उसे आरक्षित श्रेणी के तहत नियुक्ति पत्र जारी किया जाए. बशर्ते वह अन्य सभी पात्रता मानदंडों को पूरा करता हो।

 

दिल्ली उच्च न्यायालय का फैसला

 

दिल्ली उच्च न्यायालय की न्यायमूर्ति सुरेश कुमार कैत और न्यायमूर्ति गिरीश कठपालिया की पीठ ने अपने फैसले में कहा कि दिल्ली केंद्र शासित प्रदेश है और “प्रवासियों” के लिए है। ऐसे में अन्य राज्यों से आए अभ्यर्थियों को आरक्षण का लाभ देने से इनकार करना गलत है। अदालत ने यह भी कहा कि अन्य राज्यों के आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग (ईडब्ल्यूएस) और दिव्यांगजन (पीडब्ल्यूडी) श्रेणी के उम्मीदवारों को दिल्ली में नौकरियां दी जा रही हैं। इसलिए, अनुसूचित जाति (एससी) के उम्मीदवारों को इस लाभ से वंचित करना सरासर भेदभावपूर्ण है, जिसकी अनुमति नहीं दी जा सकती।

 

समान अवसर का अधिकार

 

अदालत ने कहा कि चयन प्रक्रिया में अभ्यर्थी ने सफलतापूर्वक 87 अंक प्राप्त किए थे, जबकि एससी श्रेणी में अंतिम पायदान पर चयनित उम्मीदवार ने 71 अंक प्राप्त किए थे। इस आधार पर, कैट का आदेश सही था और अभ्यर्थी ‘स्टाफ नर्स’ के पद पर नियुक्ति के लिए पूरी तरह योग्य था।

दिल्ली उच्च न्यायालय ने डीएसएसबी की याचिका को खारिज करते हुए अधिकारियों को निर्देश दिया कि वे चार सप्ताह के भीतर कैट के आदेश का पालन करें और अभ्यर्थी को नियुक्ति पत्र जारी करें।

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