नई दिल्ली। देश के सर्वोच्च न्यायाल ने दिल्ली सरकार को एक निर्देश दिया है. इस निर्देश में रीजनल रैपिड ट्रांजिट सिस्टम (RRTS) के लिए अगले दो महीने के अंदर 415 करोड़ रुपए देने की बात कही गई है. 1 साल का विज्ञापन बजट प्रोजेक्ट से ज्यादा सोमवार को एसके कौल और जस्टिस सुधांशु धूलिया की […]
नई दिल्ली। देश के सर्वोच्च न्यायाल ने दिल्ली सरकार को एक निर्देश दिया है. इस निर्देश में रीजनल रैपिड ट्रांजिट सिस्टम (RRTS) के लिए अगले दो महीने के अंदर 415 करोड़ रुपए देने की बात कही गई है.
सोमवार को एसके कौल और जस्टिस सुधांशु धूलिया की बेंच ने सुनवाई की. इसमें दिल्ली सरकार को कहा कि आपके एक साल का विज्ञापन बजट उस पैसे से ज्यादा जो कि आप रीजनल रैपिड ट्रांजिट सिस्टम के प्रोजेक्ट के लिए दे रहे हैं. अगर सरकार पिछले तीन 3 साल में विज्ञापनों पर 1100 करोड़ रुपए खर्च कर सकती है, ऐसे में निश्चित रूप से इन्फ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट को भी फंड दिया जा सकता है.
बता दें कि इससे पहले भी RRTS प्रोजेक्ट के लिए सुनवाई हुई थी. जिसमें दिल्ली सरकार ने कहा था कि वो इस RRTS प्रोजेक्ट के लिए पैसा नहीं दे सकती. इसके बाद कोर्ट ने दिल्ली सरकार से 2 सप्ताह में विज्ञापनों पर होने वाले खर्च का ब्यौरा मांगा था.
गौरतलब है कि रीजनल रैपिड ट्रांजिट सिस्टम प्रोजेक्ट के जरिए राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली को राजस्थान और हरियाणा से जोड़ा जाना है. इस प्रोजेक्ट के जरिए हाई स्पीड कम्प्यूटर बेस्ड रेलवे सर्विस दी जाएगी. इसके जरिए नॉन-पीक टाइम में माल ढुलाई की योजना भी है. रैपिड रेल 180 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से चलने वाली है. इस रूट की लंबाई 82.15 किलोमीटर है और प्रोजेक्ट पूरा होने के बाद दिल्ली और मेरठ की दूरी को एक घंटे से भी कम समय में पूरा करेगी. पूरे प्रोजेक्ट का अनुमानित लागत 3,749 मिलियन डॉलर है.
जब इसमें भीड़ कम होगी तो उसे कार्गो पहुंचाने में उपयोग किया जाएगा. यह मेट्रो सर्विस से बिल्कुल अलग होगा. दरअसल मेट्रो की स्पीड कम और स्टॉपेज ज्यादा होते हैं. लेकिन RRTS की स्पीड ज्यादा और स्टॉपेज कम होंगे. इस प्रोजेक्ट के जरिए दिल्ली एनसीआर में जाम और प्रदूषण में भी कमी आएगी.