नई दिल्लीः मानसिक तनाव के चलते बीते 15 दिन में देश के अलग-अलग मेडिकल कॉलेजों में चार रेजिडेंट डॉक्टरों ने आत्महत्या की है। दो दिन पहले दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल में डॉ. जय साल्वा ने अपनी जान दी, जो न सिर्फ मार्शल आर्ट में ब्लैक बेल्ट थे, बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर के शतरंज खिलाड़ी भी थे।
इन घटनाओं के बाद सोशल मीडिया पर देश के चिकित्सा संगठनों ने आत्महत्याओं को लेकर सख्त कदम उठाने की मांग रखी है राष्ट्रीय आयुर्विज्ञान आयोग (एनएमसी) का कहना है कि चिकित्सा छात्रों के मानसिक तनाव को लेकर आयोग की एक समिति लंबे वक्त से कार्य कर रही है। जल्द ही मेडिकल कॉलेजों के लिए सख्त निर्देश जारी किए जाएंगे। एनएमसी के नैतिकता और चिकित्सा पंजीकरण बोर्ड के सदस्य और प्रवक्ता डॉ. योगेन्द्र मलिक ने बताया कि मेडिकल कॉलेजों में छात्रों की आत्महत्याओं की घटनाएं काफी पीड़ादायक हैं।
इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के पूर्व राष्ट्रीय उपाध्यक्ष डॉ. मीत घोनिया ने कहा है कि ड्यूटी के अलावा शोषण और कार्यालय से जुड़े कई मुद्दे चिकित्सा छात्रों के लिए कठिनाइयों का कार्य करते हैं, जिन्हें लेकर एनएमसी को सख्त कदम उठाने चाहिए। उन्होंने कहा कि मेडिकल कॉलेजों में आत्महत्या की घटनाएं लगातार बढ़ रही हैं, जिनकी रोकथाम को लेकर जमीनी स्तर पर प्रयास बहुत जरूरी हैं।
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