नई दिल्ली : दिल्ली के उपराज्यपाल विनय सक्सेना और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के बीच की खटपट का कोई सुलह निकलता नज़र नहीं आ रहा है. जहां सीएम केजरीवाल के लव लेटर वाले ट्वीट के बाद दिल्ली के एलजी ने उन्हें फिर एक और चिट्ठी लिखी है. इस लेटर में उन्होंने मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को अपने मंत्रियों और नेताओं के भ्रामक, अनर्गल और तथ्यहीन बयानों का संज्ञान लेने के लिए कहा है.
खेद व्यक्त करते हुए उपराज्यपाल ने अपनी इस चिट्ठी में लिखा है कि वे अपने कर्तव्यों का पालन करते हुए दिल्ली की जनता से जुड़े तमाम मुद्दों को उठा रहे हैं. इसी बीच दिल्ली सरकार के मंत्री और आम आदमी पार्टी के नेता अनर्गल बयानबाजी कर लोगों को गुमराह कर रहे हैं. इसी बीच वह लिखते हैं कि आप मर्यादाओं की सीमाओं को लांघने के साथ-साथ अपनी जिम्मेदारियों से पीछे भाग रहे हैं. दिल्ली सरकार और मुख्यमंत्री को लिखे पत्रों को याद कराते हुए उन्होंने दिल्लीवासियों से जुड़े मुद्दों को उठाया. लेकिन उन्हें कोई संतोषजनक जवाब नहीं मिला.
आगे इस चिट्ठी में एलजी लिखते हैं, आपके मंत्रिमंडल ने खुद ही अपनी बहुप्रचारित आबकारी नीति 2021 को असफल और सक्षम मानते हुए वापस ले लिया था जाहिर है कि इस नीति के क्रियान्वयन में घोटाले के आरोप लगे थे. कथित रूप से अनेक उच्चस्थ लोगों की भूमिका संदेहादस्पद भी रही. इस मामले में जांच के आदेश देकर क्या मैंने कुछ गलत किया है?”
अपनी इस चिट्ठी में दिल्ली उपराज्यपाल यहीं नहीं रुके. उन्होंने आगे लिखा, मैंने आपको पत्र लिखकर आगाह किया था ताकि आप बतौर मुख्यमंत्री फाइलों पर हस्ताक्षर नहीं करते जो कि पूर्णतया अनुचित और असंवैधानिक होता. अनेक महत्वपूर्ण निर्णय आपके निजी सचिवों के हस्ताक्षर से ले लिए जाते हैं मुझे तो इस बात की ख़ुशी है कि मेरे पास भेजी गई फाइलें आपके हस्ताक्षर के बाद ही आती हैं. क्या इस बात के लिए प्रति मेरे द्वारा आपको आगाह करना गलता था?”
चिट्ठी में आगे उपराज्यपाल ने लिखा, “अफसोस की बात तो यह है कि इन सभी मुद्दों पर संतोषजनक कार्रवाई करने या कोई उचित जवाब देने के बजाय आप और आपके सहयोगियों ने ऐसे हथकंडे अपनाए जिससे गलतियां और कमियां दिखाने वाले व्यक्ति पर ही आपत्तिजनक, अमर्यादित और झूठे आरोप लगाकर लोगों कों मुद्दे से भटकाया जा सके.” अपने इस पत्र में उपराज्यपाल अंत में लिखते हैं, मुझे आशा है कि मेरे इस संदेश से आप सही मायने में, दिल्ली के अभिभावक से प्राप्त ‘कर्तव्य पत्र’, जिसे आप ‘प्रेम पत्र’ की संज्ञा दे रहे हैं, के रूप में स्वीकार करेंगे.
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