लखनऊ. मदरसों के सर्वे को लेकर इस समय देश भर में राजनीति गरमाई हुई है. इसी कड़ी में मदरसों के सर्वे के सर्वेक्षण को लेकर दारुल उलूम के मोहतमिम ने चिंता जताई है. इसके साथ ही 24 सितंबर को प्रदेश भर के मदरसा संचालकों का सम्मेलन भी बुलाया है. इस सम्मेलन में सरकार के फैसले […]
लखनऊ. मदरसों के सर्वे को लेकर इस समय देश भर में राजनीति गरमाई हुई है. इसी कड़ी में मदरसों के सर्वे के सर्वेक्षण को लेकर दारुल उलूम के मोहतमिम ने चिंता जताई है. इसके साथ ही 24 सितंबर को प्रदेश भर के मदरसा संचालकों का सम्मेलन भी बुलाया है. इस सम्मेलन में सरकार के फैसले पर विचार के बाद अगली रणनीति तय होगी.
दारुल उलूम के मोहतमिम मुफ्ती अबुल कासिम नोमानी ने मीडिया में बयान जारी करते हुए कहा कि मदरसों के सर्वे को लेकर जो कुछ भी कहा और सुना जा रहा है वह बेहद चिंताजनक है. उन्होंने कहा कि इस संबंध में संस्था की मजलिस-ए-तालीमी (शिक्षा समिति) की बैठक में 24 सितंबर को देवबंद में बड़ा इजलास (सम्मेलन) बुलाने का फैसला लिया गया है. इस सम्मेलन के लिए यूपी के 250 से अधिक मदरसा संचालकों को निमंत्रण भी भेजा जा रहा है.
कानपुर के 300 दीनी मदरसों पर मान्यता का संकट मंडरा रहा है, दरअसल ये दारुल उलूम देवबंद या बरेली शरीफ के दिशा-निर्देशों के अनुसार संचालित होते हैं. अब आरटीई के तहत सभी शिक्षण संस्थाओं की मान्यता जरूरी है और इसके लिए सर्वे भी किया जाना है, ऐसे में इन दीनी मदरसों पर संकट मंडरा रहा है.
उत्तर प्रदेश मदरसा शिक्षा परिषद मदरसों को मान्यता देता है और इसमें जो अनुदानित मदरसे हैं उनके शिक्षकों और कर्मचारियों को सरकार वेतन भी देती है, शेष मान्यता प्राप्त मदरसों की परीक्षाओं का संचालन बोर्ड द्वारा दिया किया जाता है. इन सभी में मदरसा बोर्ड का सिलेबस पढ़ाया जाता है और बड़ी संख्या में ऐसे मदरसे भी हैं जिनके पास बोर्ड की मान्यता नहीं है. इसी में दीनी मदरसे भी शामिल हैं.