भारतीय संविधान के जनक डॉक्टर भीमराव अंबेडकर को लेकर देश में राजनीति का सिलसिला जारी है. यूपी के मेरठ में बीजेपी नेताओं ने बाबासाहेब की प्रतिमा को माला क्या पहनाई, दलित वकीलों ने शनिवार को दूध और गंगाजल से मूर्ति का शुद्धिकरण कर दिया.
मेरठः भारतीय संविधान के निर्माता डॉक्टर भीमराव अंबेडकर को लेकर देश में राजनीति थमने का नाम नहीं ले रही है. ताजा मामला उत्तर प्रदेश के मेरठ का है. मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, बीजेपी के प्रदेश सचिव सुनील बंसल और राज्यसभा सांसद और आरएसएस विचारक राकेश सिन्हा ने जिला अदालत इलाके में लगी भीमराव अंबेडकर की मूर्ति को माला पहनाई थी. शनिवार को इसके जवाब में दलित वकीलों ने डॉ. अंबेडकर की प्रतिमा का दूध और गंगाजल से शुद्धिकरण किया.
बीजेपी नेताओं द्वारा डॉ. अंबेडकर की मूर्ति को माला पहनाने का विरोध करते हुए वकीलों ने कहा, ‘बीजेपी ने भीमराव अंबेडकर के लिए कुछ नहीं किया, वह बस उनका नाम अपने फायदे और दलितों को लुभाने के लिए कर रहे हैं. इसलिए हमने प्रतिमा का दूध और गंगाजल से शुद्धिकरण किया.’
दलित वकीलों ने आरोप लगाया कि बीजेपी और आरएसएस के नेता दलितों का शोषण करते हैं, उन पर अत्याचार करते हैं. आज आए दिन देश में दलित समाज के ऊपर अत्याचार की खबरें देखने-सुनने को मिलती हैं. पिछले कुछ वर्षों में दलितों के साथ बदसलूकी के मामले काफी ज्यादा बढ़े हैं. बीजेपी नेता लोकसभा चुनाव को करीब देखकर उनकी मूर्ति पर फूल माला चढ़ाकर दलितों का दिल जीतना चाहते हैं.
गौरतलब है कि इससे पहले गुजरात में जब केंद्रीय मंत्री मेनका गांधी ने डॉक्टर अंबेडकर की प्रतिमा पर पुष्पांजलि अर्पित की थी तो उसके ठीक बाद दलित संगठनों से जुड़े लोगों ने मूर्ति को धोकर साफ किया था. बीते महीनों भीमराव अंबेडकर की प्रतिमा तोड़ने का भी एक सिलसिला सा चल पड़ा था. देश के कई राज्यों में अंबेडकर की प्रतिमा को तोड़ा गया. इतना ही नहीं लेनिन, पेरियार और हनुमान जी की मूर्ति को भी तोड़े जाने की खबरें सोशल मीडिया पर सुर्खियों में बनी हुई थीं.
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