मुंबई : बॉम्बे हाईकोर्ट ने मशहूर चित्रकार एफएन सूजा और अकबर पद्मसी की बनाई नग्न पेंटिंग जब्त करने के मामले में कस्टम अधिकारियों से पूछताछ की है। दरअसल, पिछले साल ‘अश्लील सामग्री’ होने के आधार पर इसे जब्त किया गया था। बताया जाता है कि सुनवाई के दौरान कोर्ट ने मध्य प्रदेश के खजुराहो में […]
मुंबई : बॉम्बे हाईकोर्ट ने मशहूर चित्रकार एफएन सूजा और अकबर पद्मसी की बनाई नग्न पेंटिंग जब्त करने के मामले में कस्टम अधिकारियों से पूछताछ की है। दरअसल, पिछले साल ‘अश्लील सामग्री’ होने के आधार पर इसे जब्त किया गया था। बताया जाता है कि सुनवाई के दौरान कोर्ट ने मध्य प्रदेश के खजुराहो में स्थित मंदिर का भी जिक्र किया। कोर्ट ने अधिकारियों को इन कलाकृतियों को नष्ट करने से भी रोका है।
जून और अक्टूबर 2022 में लंदन के रोजबेरी और स्कॉटलैंड के टर्नबुल से नीलामी में पद्मसी के 3 और सूजा के 4 नग्न चित्र खरीदे गए थे। अप्रैल 2023 में जब ये पेंटिंग्स भारत लाई गईं तो कस्टम ने इन्हें जब्त कर लिया। इसके बाद याचिकाकर्ता बीके पॉलीमैक्स इंडिया प्राइवेट लिमिटेड ने इन्हें रिलीज करने के लिए पत्र लिखा।
जस्टिस एमएस सोनक और जस्टिस जितेंद्र जैन की खंडपीठ ने शहर के कारोबारी और कला पारखी मुस्तफा कराचीवाला की कंपनी बीके पॉलीमैक्स इंडिया प्राइवेट लिमिटेड की याचिका पर अपना आदेश सुरक्षित रख लिया। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, सुनवाई के दौरान जस्टिस सोनक ने पूछा कि अगर कस्टम अधिकारियों की धारणा को लागू किया जाए तो ‘इस आधार पर आप खजुराहो के मंदिरों के बारे में क्या कहेंगे?’
पीठ ने कहा कि सूजा और पद्मसी मशहूर कलाकार हैं। कोर्ट पहुंचे याचिकाकर्ता के वकील श्रेयस श्रीवास्तव ने कहा कि कस्टम ने ‘विशेषज्ञों की राय’ पर भी विचार नहीं किया। वहीं, कस्टम अधिकारियों के वकील जितेंद्र मिश्रा ने कहा, ‘यह प्रतिबंधित सामग्री थी, जो अश्लील सामग्री के अंतर्गत आती है।’
उन्होंने कहा कि कस्टम अधिनियम की 1964 की अधिसूचना के आधार पर कार्रवाई की गई, जिसके तहत सार्वजनिक व्यवस्था और सभ्यता को बनाए रखने के उद्देश्य से सामग्री के आयात को रोका जा सकता है।कोर्ट ने कहा, कस्टम विभाग को 1 जुलाई, 2024 के आदेश के अनुसार जब्त की गई कलाकृतियों को अगले आदेश तक नष्ट करने से रोका जाता है।
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