जिला जज ने इसी साल 12 अगस्त को एक आदेश जारी कर जौनपुर जिला न्यायालय में दर्ज मुकदमे की पोषणीयता को मंजूरी दी थी। जिला जज ने अपने फैसले में कहा था कि स्वराज वाहिनी एसोसिएशन का मुकदमा चलता रहेगा।
लखनऊः अयोध्या, काशी, मथुरा और संभल के बाद अब जौनपुर का मंदिर-मस्जिद विवाद भी इलाहाबाद हाईकोर्ट पहुंच गया है। जौनपुर के अटाला मस्जिद विवाद से जुड़े मामले की सुनवाई 9 दिसंबर को इलाहाबाद हाईकोर्ट में होगी। सोमवार को होने वाली सुनवाई में मस्जिद की जगह मंदिर होने का दावा करने वाली स्वराज वाहिनी एसोसिएशन को अपना जवाब दाखिल करना होगा। इस मामले में हाईकोर्ट को मुख्य रूप से यह तय करना है कि मस्जिद को मंदिर बताकर वहां पूजा-अर्चना के अधिकार की मांग को लेकर जौनपुर कोर्ट में दाखिल केस की सुनवाई हो सकती है या नहीं।
अटाला मस्जिद के वक्फ की ओर से हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की गई है। मामले की सुनवाई न्यायमूर्ति रोहित रंजन अग्रवाल की एकलपीठ में होगी। जौनपुर जिला जज ने इसी साल 12 अगस्त को अपने फैसले में कहा था कि स्वराज वाहिनी एसोसिएशन का मुकदमा चलता रहेगा। इससे पहले 29 मई को जौनपुर जिला न्यायालय के सिविल जज ने मुकदमा दर्ज कर सुनवाई शुरू करने का आदेश दिया था।
मुस्लिम पक्ष की ओर से दाखिल याचिका में इन दोनों आदेशों को चुनौती दी गई है। मस्जिद कमेटी के अधिवक्ता अजीम काजमी के मुताबिक हाईकोर्ट से इन दोनों आदेशों को रद्द करने और अंतिम फैसला आने तक इन पर रोक लगाने की अपील की गई है। उनका कहना है कि एसोसिएशन का मुकदमा सुनवाई लायक नहीं है।
गौरतलब है कि स्वराज वाहिनी एसोसिएशन के प्रदेश अध्यक्ष संतोष कुमार मिश्रा ने इसी साल जौनपुर जिला न्यायालय में मुकदमा दायर कर दावा किया था कि जौनपुर की अटाला मस्जिद एक मंदिर को तोड़कर बनाई गई है। जिस जगह मस्जिद है, वहां पहले अटाला देवी का मंदिर था। इस मंदिर का निर्माण 13वीं शताब्दी में राजा विजय चंद्र ने करवाया था। कुछ दशक बाद फिरोज शाह तुगलक ने जौनपुर पर कब्जा करने के बाद मंदिर को मस्जिद में बदल दिया।
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