नई दिल्लीः राजधानी स्थित कांग्रेस के मुख्यालय यानी ’24 अकबर रोड’ पर अब हर हफ्ते जनता दरबार लगा करेगा. कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी पार्टी मुख्यालय आने वाले लोगों से मिला करेंगे. राहुल गांधी ने इस प्रस्ताव को सहमति दे दी है कि जब वह दिल्ली में रहेंगे तो मंगलवार और शुक्रवार को पार्टी मुख्यालय आकर अपने दफ्तर में ही समय मांगने वाले नेताओं से मुलाकात करेंगे. इतना ही नहीं, शनिवार को राहुल पार्टी मुख्यालय के लॉन में देश के दूसरे हिस्सों से आने वाले उन कार्यकर्ताओं से मुलाकात करेंगे, जो उनसे मुलाकात के लिए किसी कारणवश समय नहीं ले पाए होंगे. राहुल के इस फैसले को जनता के बीच अपनी पैठ गहरी करने के रूप में देखा जा रहा है. साथ ही इसे उन कांग्रेसी नेताओं के लिए भी एक संदेश माना जा रहा है जो सिर्फ खास मौकों पर ही कांग्रेस मुख्यालय आया करते थे.
वैसे अन्य कांग्रेसी नेताओं के लिए यह कहना अतिश्योक्ति होगा क्योंकि इससे पहले राहुल गांधी खुद भी विशेष मौकों पर ही कांग्रेस मुख्यालय आते थे. राहुल ज्यादातर सियासी कामकाज अपने घर ’12 तुगलक लेन’ या फिर कांग्रेस के वॉर रूम कहे जाने वाले ’15 गुरुद्वारा रकाबगंज’ से ही निपटाते थे. राहुल के इस फैसले की दिग्गज कांग्रेसी नेताओं ने सराहना की है. कांग्रेस प्रवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि बतौर अध्यक्ष राहुल गांधी अगर अपने दफ्तर में बैठकर काम करने का फैसला लेते हैं, कार्यकर्ताओं और आम जन से मुलाकात करते हैं, तो हम सबको इसका स्वागत करना चाहिए, ये स्वागतयोग्य कदम है.
बताते चलें कि पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी और उनके बेटे राजीव गांधी भी कांग्रेस मुख्यालय में जनता दरबार लगाया करते थे. सोनिया गांधी को जब कांग्रेस की कमान सौंपी गई तो उन्होंने भी ’24 अकबर रोड’ पर जनता दरबार लगाया. साल 2004 में कांग्रेस सत्ता में आई और सुरक्षा के मद्देनजर उनके कार्यक्रम को बंद करना पड़ा. हालांकि इसके बाद ’10 जनपथ’ में भी सोनिया कार्यकर्ताओं और आम लोगों से मुलाकात करतीं थीं. गौरतलब है कि हाल में कांग्रेस दो राज्यों में हार का मुंह देखकर आ रही है. हालांकि गुजरात में मिली हार को कांग्रेस अपने लिए बेहतर बता रही है, क्योंकि साल 2012 चुनाव के मुकाबले उनकी सीटों में काफी इजाफा हुआ है. साल 2012 चुनाव में कांग्रेस को 61 सीटें मिली थीं, वहीं 2017 के चुनाव में कांग्रेस ने 77 सीटें हासिल की हैं. राहुल की राह में चुनौतियां हरगिज कम नहीं है लेकिन विरासत में मिली इसी कांग्रेस के साथ ही उन्हें आगे बढ़ना होगा. ऐसे में अब राहुल गांधी अगर दोबारा कांग्रेस मुख्यालय में परिवार की पुरानी परंपरा को शुरू करने वाले हैं तो यकीनन उनके इस फैसले से आने वाले समय में कांग्रेस को जरूर लाभ मिलेगा.
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