दिल्ली : कांग्रेस पूर्व सांसद महाबल मिश्रा ने छोड़ी पार्टी, थामा AAP का हाथ

नई दिल्ली : एमसीडी चुनाव से पहले ही कांग्रेस पार्टी के नेता पार्टी का साथ छोड़ते नज़र आ रहे हैं. जहां रविवार को कांग्रेस के पूर्व सांसद महाबल मिश्रा पार्टी छोड़ दी है. वह आप राष्ट्रीय संयोजक और दिल्ली के मुखयमंत्री अरविंद केजरीवाल की रैली में दिखाई दिए. सार्वजनिक रैली के दौरान पूर्व सांसद और […]

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दिल्ली : कांग्रेस पूर्व सांसद महाबल मिश्रा ने छोड़ी पार्टी, थामा AAP का हाथ

Riya Kumari

  • November 20, 2022 12:17 pm Asia/KolkataIST, Updated 2 years ago

नई दिल्ली : एमसीडी चुनाव से पहले ही कांग्रेस पार्टी के नेता पार्टी का साथ छोड़ते नज़र आ रहे हैं. जहां रविवार को कांग्रेस के पूर्व सांसद महाबल मिश्रा पार्टी छोड़ दी है. वह आप राष्ट्रीय संयोजक और दिल्ली के मुखयमंत्री अरविंद केजरीवाल की रैली में दिखाई दिए. सार्वजनिक रैली के दौरान पूर्व सांसद और कांग्रेस नेता महाबल मिश्रा को अरविंद केजरीवाल के साथ देखा गया. बता दें, रविवार को सीएम केजरीवाल दिल्ली एमसीडी चुनावों को लेकर दिल्ली में प्रचार करने उतरे हैं. जहां आम आदमी पार्टी की इस चुनावी रैली में कांग्रेस के पूर्व सांसद महाबल मिश्रा भी दिखाई दिए.

पार्षद चुनाव है CM कुर्सी का रास्ता

दिल्ली एमसीडी देश की सबसे अहम एमसीडी में से एक है. ऐसा इसलिए क्योंकि दिल्ली MCD के पास 15 हजार करोड़ से ज्यादा का बजट होता है. इतना ही नहीं दिल्ली सरकार भी MCD को खर्चे के लिए बजट देती है. इसी बजट से राजधानी में तमाम विकास कार्य किए जाते हैं. ऐसे में इतने बड़े बजट पर काबिज होने की हसरत भी सभी पार्टियां रखती हैं. इस भारी भरकम बजट का फायदा पार्टी के आंतरिक कामों में मिलता है. पार्टी इस बजट के सहारे दिल्ली की सियासत में अपना मजबूत वोट बैंक तैयार कर सकती है. ऐसे में बीजेपी, आम आदमी पार्टी और कांग्रेस इस बार भी एमसीडी चुनावों की दौड़ में भागने को तैयार हैं. खासकर भाजपा और आम आदमी पार्टी.

सरकार और MCD के बीच बिगड़ा संतुलन

यदि दिल्ली की ही सत्ताधारी पार्टी एमसीडी पर काबिज होती है तो यह बड़ी बात है. क्योंकि राज्य सरकार और एमसीडी के बीच समन्वय अधिक सरल तरीके से हो सकेगा. हालांकि अभी ऐसा नहीं है. क्योंकि दिल्ली में एमसीडी पर भाजपा का कब्ज़ा है तो वहीं आम आदमी पार्टी सरकार पर सियासत जमाए है. दोनों पार्टियों के बीच अक्सर ही संतुलन बिगाड़ता देखा जा सकता है. इस संतुलन से सीधा नुकसान जनता का होता है. नतीजन बीते पांच सालों में कई बार एमसीडी के साफ-साफा कर्मचारियों ने हड़ताल की तो कांग्रेस और आम आदमी पार्टी इसके लिए भी एक-दूसरे पर आरोप लगाती रही.

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