नई दिल्ली। जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनाव में नेशनल कॉन्फ्रेंस-कांग्रेस गठबंधन को बहुमत मिली है। हालांकि कांग्रेस के लिए जम्मू-कश्मीर में भी ज्यादा खुश होने की वजह नहीं है। कांग्रेस पार्टी गठबंधन को बहुमत मिलने पर खुशी मना रही है लेकिन नतीजों को ध्यान से देखने के बाद पता चलता है कि कैसे वहाँ भी पार्टी की नैया डूब गई। भाजपा से मुकाबला कर रही कांग्रेस वहाँ पर फिसड्डी दिखी। चुनाव में प्रमुख पार्टियों का स्ट्राइक रेट से तुलना करने पर कांग्रेस बेहद ख़राब स्थिति में है।
J-K के 90 सीटोें के लिए तीन चरण में चुनाव में नेशनल कांफ्रेंस 56 सीटों पर चुनाव लड़ रही थी, जिसमें से वो 42 सीट जीतने में कामयाब रही। पार्टी का स्ट्राइक रेट 75 फीसदी के करीब रहा, वहीं उसकी सहयोगी कांग्रेस का महज 15 फीसदी। 39 सीटों पर लड़ी कांग्रेस सिर्फ 6 सीटें जीत पाई। भाजपा की बात करें तो वहां पार्टी अकेले लड़ रही थी। बीजेपी जम्मू की सभी 43 और कश्मीर की 47 में से केवल 19 सीट पर चुनाव लड़ रही थी। भाजपा ने 10 साल बाद हुए चुनाव में 62 उम्मीदवार उतारे। इसमें से 29 सीटों पर जीत मिली। भाजपा का स्ट्राइक रेट 47 फीसदी रहा मगर वह कांग्रेस से काफी आगे है।
कांग्रेस जम्मू की 29 सीट पर चुनाव लड़ रही थी जहां वो सिर्फ एक ही सीट जीत पाई और वोट स्ट्राइक रेट सिर्फ 3 प्रतिशत रहा। जम्मू की 43 सीटें में 25 सीट ऐसी थी जहां पर सीधे कांग्रेस-बीजेपी में टक्कर था। इसमें से 19 भाजपा और 1 कांग्रेस जीती। 5 सीटों पर निर्दलीय उम्मीदवारों ने बाजी मारी। इस तरह से देखे तो भाजपा को जम्मू में हराने के मामले में कांग्रेस का स्ट्राइक रेट सिर्फ 5 प्रतिशत रहा। कश्मीर में बीजेपी का कोई खास जनाधार नहीं था। यहां पर कांग्रेस 10 सीटों पर लड़ी तो उसमें से 5 सीटें जीत पाई।
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