हरियाणा: हरियाणा विधानसभा चुनाव के लिए कुछ ही देर में वोटों की गिनती शुरू होने वाली है. इससे पहले लगभग सभी एग्जिट पोल के मुताबिक हरियाणा में कांग्रेस दस साल बाद सत्ता में वापसी करती दिख रही है. लेकिन अब सवाल ये है कि अगर राज्य में कांग्रेस की सरकार बनती है तो मुख्यमंत्री कौन बनेगा.
कांग्रेस की ओर से मुख्यमंत्री के चेहरे के तौर पर भूपेन्द्र हुडडा, कुमारी शैलजा, रणदीप सुरजेवाला और दीपेन्द्र हुडडा का नाम राजनीतिक गलियारों में खूब लिया जा रहा है. लेकिन इन चेहरों में किस नेता की दावेदारी सबसे मजबूत है और क्यों ये बड़ा सवाल है. तो आइए जानते हैं कि अगर हम इन नेताओं में से किसी को सीएम बनाएंगे तो इसका क्या असर होगा। सबसे पहले बात करते हैं भूपेन्द्र हुडडा की.
दरअसल, कांग्रेस की ओर से सीएम चेहरे को लेकर सबसे ज्यादा चर्चा में नाम है भूपेन्द्र हुड्डा का. हुडडा की दावेदारी इसलिए मजबूत मानी जा रही है क्योंकि इन नामों में भूपेन्द्र हुडडा के पास सरकार चलाने का अनुभव है. टिकट वितरण में ज्यादातर भूपेन्द्र हुडडा के समर्थकों को टिकट मिला है, इससे यह संकेत मिलता है कि अगर हुडडा हाईकमान से अपने समर्थकों को टिकट दिलाने में सफल रहे हैं तो वह हाईकमान की पसंद भी हो सकते हैं. इसके अलावा हुड्डा को सीएम बनाकर कांग्रेस दूसरे राज्यों में जाट वोट हासिल कर सकती है.
भूपेंद्र हुड्डा के बाद कांग्रेस की ओर से सीएम चेहरे के तौर पर जिस नाम का नाम सबसे ज्यादा लिया जा रहा है, वह कुमारी शैलजा का है। शैलजा हरियाणा के बड़े दलित चेहरों में से एक हैं. साथ ही उनके पास सरकार में रहने का अनुभव भी है. इसके अलावा चुनाव के दौरान उनके पार्टी बदलने की अटकलें भी खूब चलीं, हालांकि उन्होंने कांग्रेस नहीं छोड़ी, लेकिन पार्टी के प्रति उनकी वफादारी का इनाम पार्टी उन्हें सीएम बनाकर भी दे सकती है. चुनाव के दौरान उनका एक बयान भी काफी चर्चा में रहा था, ”हर कोई जानता है कि शैलजा कांग्रेसी हैं.
हरियाणा में कांग्रेस की ओर से सीएम पद की रेस में रणदीप सुरजेवाला का नाम भी है. उनका नाम इसलिए भी शामिल है क्योंकि सुरजेवाला कांग्रेस के बड़े नेता हैं और दो बड़े नेताओं की खींचतान के बीच उन्हें मुख्यमंत्री बनने का मौका मिल सकता है. इसके अलावा वह मंत्री रह चुके हैं और उन्हें सरकार में रहने का अनुभव भी है. कांग्रेस की ओर से मुख्यमंत्री पद की रेस में दीपेंद्र हुड्डा का नाम भले ही सबसे आखिर में हो, लेकिन युवा होने के नाते कांग्रेस उन्हें मौका दे सकती है, क्योंकि उनके पिता भूपेन्द्र हुड्डा की उम्र 75 साल से ज्यादा है, ऐसे में पार्टी भी दीपेंद्र हुड्डा पर दांव. आवेदन कर सकता। इतना ही नहीं दीपेंद्र चार बार सांसद भी रह चुके हैं.
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