जनता दल यूनाइटेड (JDU) से अलग होने के बाद चुनाद चिन्ह 'तीर' पर दावा ठोंक रहे शरद यादव को चुनाव आयोग ने बड़ा झटका दिया है. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के पास अधिकतर विधायकों का समर्थन है, लिहाजा चुनाव आयोग ने 'तीर' का चुनाव चिन्ह नीतीश कुमार की पार्टी को देने का फैसला किया है. ये पहली बार नहीं है कि शरद यादव चुनाव चिन्ह की मांग को लेकर चुनाव आयोग पहुंचे हो, इससे पहले वह दो बार 'तीर' पर अपना दावा ठोंक चुके हैं और दोनों ही बार आयोग उनके दावे को खारिज कर चुका है.
नई दिल्लीः दो हिस्सों में बंट चुकी जनता दल यूनाइटेड (JDU) के चुनाव चिन्ह ‘तीर’ को लेकर बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और शरद यादव के बीच खींचातानी अब थम गई है. JDU से निष्कासित शरद यादव ने पार्टी के चुनाव चिन्ह पर दावा किया था लेकिन JDU के ज्यादातर विधायक नीतीश कुमार का समर्थन कर रहे हैं, लिहाजा नीतीश के पक्ष में विधायकों के समर्थन की तस्दीक करने के बाद चुनाव आयोग ने ‘तीर’ चुनाव चिन्ह नीतीश कुमार को दे दिया है. इससे पहले चुनाव आयोग शरद यादव के दावे को दो बार खारिज कर चुका है. चुनाव आयोग का यह फैसला जहां नीतीश कुमार के लिए बड़ी खुशखबरी है वहीं शरद यादव के लिए यह किसी बड़े झटके से कम नहीं है.
बिहार की राजनीति में ‘तीर’ चुनाव चिन्ह पर चल रहे झगड़े का अब पटाक्षेप हो गया है. चुनाव आयोग ने JDU का चुनाव चिन्ह ‘तीर’ नीतीश कुमार की पार्टी को दे दिया है. चुनाव आयोग के फैसले के बाद JDU महासचिव संजय झा ने कहा कि ये एक बहुत बड़ा फैसला है और गुजरात चुनाव में इसका प्रभाव जरूर देखने को मिलेगा. बता दें कि हाल में नीतीश कुमार का आरजेडी और कांग्रेस के साथ गठबंधन तोड़कर बीजेपी से हाथ मिला लेना शरद यादव को बिल्कुल पसंद नहीं आया था. उनका कहना था कि बिहार की जनता ने महागठबंधन को वोट दिया था तो इसे तोड़ना जनता को धोखा देने के बराबर है. शरद यादव ने बगावत कर JDU का साथ छोड़ दिया था.
जिसके बाद शरद यादव ने अरुण श्रीवास्तव, रमई राम और अली अनवर जैसे नेताओं के साथ मिलकर अपना अलग गुट बना लिया. गौरतलब है कि सीएम नीतीश कुमार ने शरद यादव का बागी रवैया देखकर उनकी राज्यसभा सदस्यता खत्म करने की मांग भी की है, जिस पर अभी फैसला आना बाकी है. बता दें कि हाल ही में मध्य प्रदेश में शरद यादव के खेमे के गोविंद यादव ने बयान दिया था कि नीतीश कुमार नकली JDU नेता हैं जबकि असली JDU तो शरद यादव की पार्टी है, क्योंकि ज्यादातर समर्थक उन्हीं के पास है. फिलहाल चुनाव आयोग के फैसले के बाद शरद यादव आगे क्या रणनीति अपनाएंगे, यह देखने वाली बात होगी.
नीतीश कुमार ने की गुजरात जीत की भविष्यवाणी, कहा- जहां से पीएम वहां से हार नहीं सकती BJP