नई दिल्ली. चुनाव से जुड़े पहलुओं और राजनीतिक दलों पर नजर रखने वाली संस्था एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिसर्च (एडीआर) की रिपोर्ट में कई खुलासे हुए हैं. रिपोर्ट के मुताबिक 2016-17 में 29 क्षेत्रीय राजनीतिक दलों की कुल आय का एक चौथाई हिस्सा अज्ञात स्रोतों से आया था. रिपोर्ट के अनुसार क्षेत्रीय दलों को कूपन की बिक्री और वॉलंटियर्स के माध्यम से 77.08 करोड़ रुपये की कमाई हुई लेकिन कमाई का स्रोत अज्ञात है. 2016-17 में क्षेत्रीय राजनीतिक दलों की कुल आय 347.74 करोड़ रुपये है. भारत के निर्वाचन आयोग को दायर क्षेत्रीय दलों की कमाई रिपोर्ट का एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिसर्च (एडीआर) ने विश्लेषण किया. रिपोर्ट में कहा गया है कि आई-टी रिटर्न में निर्दिष्ट आय के मुताबिक, क्षेत्रीय दलों की कुल आय का 22.17 प्रतिशत अज्ञात स्रोतों से आया था.
रिपोर्ट के अनुसार क्षेत्रीय दलों को मिले कुल चंदा का करीब 72.05 फीसदी यानि 65.83 करोड़ पर सिर्फ तीन दलों शिव सेना, आम आदमी पार्टी और अकाली दल का मिला. रिपोर्ट के मुताबिक पंजाब की विपक्षी पार्टी और पंजाब में भाजपा की सहयोगी शिरोमणि अकाली दल को साल 2016-17 के दौरान काफी चंदा मिला. वर्ष 2015-16 की तुलना में साल 2016-17 में अकाली दल के चंदे में 60 गुना की बढ़ोत्तरी हुई. सबसे ज्यादा चंदा इकट्ठा करने वाले क्षेत्रीय दलों में शिव सेना सबसे आगे है. इसके बाद आम आदमी पार्टी(आप) दूसरे नंबर पर है.
अकाली दल का नंबर तीसरे नंबर पर है. एडीआर की रिपोर्ट के अनुसार 2016-17 के दौरान अकाली दल को 15.45 करोड़ रुपये चंदा मिला. पिछले साल 2015-16 के दौरान अकाली दल को 0.26 करोड़ ही चंदा मिला था. साल 2016-17 में शिव सेना को 25.65 करोड़ और आम आदमी पार्टी को 24.73 करोड़ रुपये चंदा मिला. चंदा मिलने के मामले में समाजवादी पार्टी क्षेत्रीय दलों में चौथे स्थान पर काबिज है. समाजवादी पार्टी को 2016-17 के दौरान कुल 6.91 करोड़ रुपये चंदा मिला.
चंदा देने वालों में दिल्ली वाले सबसे आगे हैं, वर्ष 2016-17 में दिल्ली वालों ने सभी क्षेत्रीय दलों को कुल 20.86 करोड़ रुपये चंदा दिए. वहीं महाराष्ट्र ने 19.7 करोड़, पंजाब ने 9.42 करोड़, कर्नाटक ने 8.24 करोड़ और आंध्र प्रदेश ने कुल 1.61 करोड़ रुपये क्षेत्रीय दलों को बतौर चंदा दान दिया. सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के बाद चुनाव आयोग ने सभी दलों से 20,000 रुपये से ऊपर के सभी चंदों का लेखा जोखा (विवरण) देना अनिवार्य कर दिया है. बता दें कि सभी राजनीतिक दलों को आय-व्यय का सालाना विवरण भी आयोग को देना होता है.
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