नई दिल्ली, देश के मुख्य न्यायाधीश एनवी रमना भले ही मास्टर ऑफ रोस्टर हों और कोर्ट की 16 पीठों में सुनवाई के लिए मुकदमों का वितरण करते हों, लेकिन यह जरूरी नहीं है कि कई मामलों में आदेश के बावजूद मुकदमा बेंच के आगे सुनवाई के लिए भी पहुंचे. मुकदमों की लिस्टिंग को लेकर वे […]
नई दिल्ली, देश के मुख्य न्यायाधीश एनवी रमना भले ही मास्टर ऑफ रोस्टर हों और कोर्ट की 16 पीठों में सुनवाई के लिए मुकदमों का वितरण करते हों, लेकिन यह जरूरी नहीं है कि कई मामलों में आदेश के बावजूद मुकदमा बेंच के आगे सुनवाई के लिए भी पहुंचे. मुकदमों की लिस्टिंग को लेकर वे सुप्रीम कोर्ट की रजिस्ट्री के आगे बेबस हैं, दरअसल बुधवार को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध एक मामले को रजिस्ट्री द्वारा हटा देने पर मुख्य न्यायाधीश परेशान हो गए और उन्होंने कहा कि वे इस मुद्दे पर 26 तारीख को अपने विदाई भाषण में बोलेंगे.
बुधवार को मुख्य न्यायाधीश एनवी रमना के समक्ष एक वरिष्ठ वकील ने कहा कि उनका मामला सूचीबद्ध था, लेकिन बाद में उसे लिस्ट से हटा दिया गया, इस पर जस्टिस रमना ने कहा कि ऐसे कई मुद्दे हैं, जिन्हें वह उठाना चाहते हैं, लेकिन वह नहीं चाहते कि पद छोड़ने से पहले वो इसपर बोलें, इसलिए वो अपने विदाई भाषण में जरूर बोलूंगा.
वरिष्ठ वकील ने कहा कि सूची से मामले के अंत समय में ऐसे मामला हटाए जाने से दिक्कतें होती हैं. वकील ने आगे कहा- हम रात को आठ बजे तक तैयारी करते हैं, वादी से भी बातचीत होती है. अगले दिन जब सुनवाई का मौका आता है तो पता चलता है कि उसकी जगह कोई और ही मुकदमा सूचीबद्ध है, इससे बहुत दिक्कतें होती हैं.
पिछले हफ्ते इसी मुद्दे पर जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की पीठ ने रजिस्ट्री अधिकारियों से जवाब मांगा था कि मुकदमा एक निश्चित दिन पर लगाने का आदेश जारी होने के बावजूद भी उसे क्यों नहीं लगाया गया, इससे पहले एक मुख्य न्यायाधीश ने रजिस्ट्री के अधिकारियों को कोर्ट में ही बैठा लिया था और कहा था कि वे सुनें वकील कैसे शिकायत करते हैं.
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