पटना: देश की सियासत में UPSC परीक्षाओं में लेटरल एंट्री का मुद्दा तूल पकड़ रहा है। अब इसमें लोक जनशक्ति पार्टी के अध्यक्ष और केंद्र सरकार में मत्री चिराग पासवान का भी पक्ष सामने आया है। चिराग ने सोमवार (19 अगस्त) को संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) में लेटरल एंट्री को पूरी तरह गलत बताया […]
पटना: देश की सियासत में UPSC परीक्षाओं में लेटरल एंट्री का मुद्दा तूल पकड़ रहा है। अब इसमें लोक जनशक्ति पार्टी के अध्यक्ष और केंद्र सरकार में मत्री चिराग पासवान का भी पक्ष सामने आया है। चिराग ने सोमवार (19 अगस्त) को संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) में लेटरल एंट्री को पूरी तरह गलत बताया और कहा कि वह इस मुद्दे को सरकार के समक्ष उठाने की योजना बना रहे हैं। अपको बता दें कि चिराग पासवान एनडीए के पहले सहयोगी हैं जो इसका विरोध कर रहे हैं।
इस मुद्दे पर अपनी पार्टी का रुख स्पष्ट करते हुए उन्होंने कहा कि लोजपा (रा.वि.) ऐसी नियुक्तियों के पक्ष में बिल्कुल नहीं है। उन्होंने कहा जहां भी सरकारी नियुक्तियां हैं, वहां आरक्षण के प्रावधानों का पालन किया जाना चाहिए। उन्होंने आगे कहा कि जिस तरह से यह मामला सामने आया है, वह उनके लिए चिंता का विषय है, क्योंकि उनकी पार्टी सरकार का हिस्सा है और इन मुद्दों को सामने लाने के लिए उनके पास एक मंच है। हम इसके बिल्कुल भी पक्ष में नहीं हैं। यह पूरी तरह से गलत है और मैं इस मामले को सरकार के सामने उठाऊंगा।
कांग्रेस ने लैटरल एंट्री के मुद्दे पर अपना हमला जारी रखा, लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने इसे दलितों, ओबीसी और आदिवासियों पर हमला बताया। उन्होंने कहा, ‘भाजपा का रामराज्य का उद्देश्य केवल संविधान को नष्ट करना और बहुजनों से आरक्षण छिनना है।’
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