पटना। लोक जनशक्ति पार्टी (राम विलास) के अध्यक्ष चिराग पासवान इन दिनों कुछ बदले-बदले से नजर आ रहे हैं। पिछले कुछ समय से वो बीजेपी के फैसलों पर लगातार सवाल उठाते हुए दिख रहे। वक्फ बिल, लेटरल एंट्री, भारत बंद और जातीय गणना के मुद्दे पर विपक्ष के खेमे में दिखाई दिए। 16 अगस्त 2020 […]
पटना। लोक जनशक्ति पार्टी (राम विलास) के अध्यक्ष चिराग पासवान इन दिनों कुछ बदले-बदले से नजर आ रहे हैं। पिछले कुछ समय से वो बीजेपी के फैसलों पर लगातार सवाल उठाते हुए दिख रहे। वक्फ बिल, लेटरल एंट्री, भारत बंद और जातीय गणना के मुद्दे पर विपक्ष के खेमे में दिखाई दिए। 16 अगस्त 2020 को चिराग ने बयान दिया था कि प्रधानमंत्री मोदी उनके दिल में बसते हैं और वो उनके हनुमान है। जरूरत पड़ने पर सीना चीरकर दिखा देंगे। अब वहीं चिराग है जो बीजेपी के फैसले पर लगातार सवाल खड़े कर रहे। आखिर चिराग बीजेपी को असहज करने वाला स्टैंड क्यों ले रहे हैं?
चिराग पासवान इन दिनों जो स्टैंड ले रहे हैं उससे साफ़ पता चलता है कि प्रेशर पॉलिटिक्स कर रहे हैं। राजनीतिक जानकारों का कहना है कि अभी NDA के अंदर कई पार्टियां हैं। जाहिर है कि सबसे बड़ी पार्टी जदयू और बीजेपी है। ऐसे में चिराग ये देख रहे हैं कि विधानसभा चुनाव में उनकी पार्टी को सीट के मामले में नुकसान हो सकता है। प्रेशर पॉलिटिक्स के जरिए सीटों को लेकर बारगेन का प्लान कर रहे। उनकी पार्टी 36 से 40 सीट की मांग कर रही है, जो कि मिलना संभव नहीं लग रहा।
चिराग पासवान के पास 5 सांसद ही हैं लेकिन वो बिहार की राजनीति पर पकड़ रखते हैं। चिराग पासवान समय दर समय भाजपा को यह अहसास दिलाते रहते हैं कि उन्हें उनकी न सिर्फ दिल्ली में बल्कि बिहार में भी उतनी ही जरूरत है। चिराग पासवान ने अपने पिता से दबाव की राजनीति सीखा है। रामविलास पासवान भी सहयोगियों पर बाव की राजनीति करते थे। सही वक़्त पर कैसे प्रेशर बनाया जाता है ये चिराग ने अपने पिता से बेहतर सीखा है।
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