नई दिल्ली: बीजापुर में पत्रकार मुकेश चंद्राकर की हत्या के मामले में फरार चल रहे ठेकेदार सुरेश चंद्राकर के खिलाफ पुलिस और प्रशासन ने शनिवार को बड़ी कार्रवाई की है। प्रशासनिक टीम ने ठेकेदार के सभी अवैध ठिकानों की पहचान कर उन्हें बुलडोजर से ढहा दिया है। इसमें वह फार्म हाउस भी शामिल है, जहां से पत्रकार मुकेश चंद्राकर का शव बरामद हुआ था। दूसरी ओर, मुकेश के शव का पोस्टमार्टम पूरा होने के बाद परिजनों ने श्मशान घाट पर उनका अंतिम संस्कार किया, जहां बीजापुर के एसपी, कलेक्टर और डीआईजी समेत हजारों लोग उपस्थित थे और श्रद्धांजलि अर्पित की।
बीजापुर पुलिस के अनुसार, इस हत्याकांड के मुख्य आरोपी ठेकेदार सुरेश चंद्राकर अभी भी फरार है और उसकी गिरफ्तारी के लिए प्रदेशभर में बड़े स्तर पर सर्च ऑपरेशन चलाया जा रहा है। इस मामले में पुलिस ने सुरेश के भाई रितेश समेत तीन आरोपियों को गिरफ्तार किया है। फार्म हाउस की तलाशी में पुलिस को 21 सीसीटीवी कैमरे मिले, जिनमें से 16 कैमरे अभी मौजूद थे, जबकि 5 कैमरे गायब पाए गए। इन 16 कैमरों को पुलिस ने जब्त कर लिया है।
आरोपी का फार्म हाउस नजूल की अवैध संपत्ति पर बनाया गया था। प्रशासन ने पहले बिजली कनेक्शन काटे और फिर बुलडोजर से उस भवन को ढहाना शुरू कर दिया। साथ ही, मौके पर मौजूद आरटीओ टीम ने फार्म हाउस में खड़ी सभी गाड़ियों को जब्त कर लिया और उनकी जांच शुरू कर दी। पुलिस के मुताबिक, पत्रकार मुकेश चंद्राकर की हत्या ठेकेदार सुरेश चंद्राकर के इशारे पर उसके भाई रितेश और दो अन्य लोगों ने की है।
पुलिस ने रितेश चंद्राकर को दिल्ली से और उसके दोनों साथियों को बीजापुर से गिरफ्तार किया है। पूछताछ में आरोपियों ने पूरी घटना को स्वीकार किया है, लेकिन अभी तक उन्होंने हत्या की असली वजह का खुलासा नहीं किया है। पुलिस का कहना है कि इस मामले की पूरी सच्चाई सुरेश चंद्राकर की गिरफ्तारी के बाद सामने आएगी। बीजापुर के एसपी जितेंद्र यादव ने बताया कि सुरेश चंद्राकर के बारे में कुछ सुराग मिले हैं और उसे जल्द ही गिरफ्तार किया जाएगा।
सड़क निर्माण में धांधलेबाजी का किया था भंडाफोड़
विवाद की जड़ में 120 करोड़ का ठेका है. पत्रकार मुकेश चंद्राकर ने ठेकेदार सुरेश चंद्राकर के करप्शन को उजागर किया था. ठेकेदार सुरेश चंद्राकर बस्तर में 120 करोड़ की लागत से सड़क बनाने का ठेका लिया हुआ था. सड़क निर्माण में गड़बड़ी हो रही थी जिसे पत्रकार मुकेश चंद्राकर ने उजागर किया था. सरकार इसकी जांच करा रही थी. इसी बीच पत्रकार को धोखे से बुलाकर हत्या कर दी गई. इसके बाद 1 जनवरी से मुकेश चंद्राकर का कुछ भी पता नहीं चल रहा था. दावा है कि आखिरी बार कॉल करके ठेकेदार सुरेश चंद्रकार के भाई रीतेश चंद्राकर ने मुकेश को बुलाया था और उसके बाद उनका फोन स्विच ऑफ जाने लगा. बाद में उनका शव ठेकेदार सुरेश चंद्राकर के सेप्टी टैंक से बरामद हुआ.
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