रायपुर. छत्तीसगढ़ में कांग्रेस के तूफान में बीजेपी का कमल उड़ गया. 15 साल बाद राज्य की सत्ता में कांग्रेस ने धमाकेदार वापसी की. 90 सीटों पर हुए विधानसभा चुनावों में कांग्रेस ने 64 सीटों पर बढ़त बनाई हुई है. जबकि बीजेपी महज 16 सीटों पर सिमटकर रह गई. हैरानी की बात है कि 2013 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने 50 सीटों पर जीत हासिल की थी. वहीं कांग्रेस को सिर्फ 38 ही सीट मिली थीं. लेकिन इस बार कांग्रेस ने दो-तिहाई से ज्यादा बहुमत हासिल किया. मुख्यमंत्री रमन सिंह की हालत भी पतली नजर आई और रुझानों में वह भी अपनी सीट पर आगे-पीछे होते रहे.
लेकिन अब सवाल उठता है कि छत्तीसगढ़ में कांग्रेस आलाकमान किसे मुख्यमंत्री घोषित करेगा? फिलहाल रेस में दो नाम आगे चल रहे हैं भूपेश बघेल, जो प्रदेश पार्टी अध्यक्ष हैं और दूसरे नेता प्रतिपक्ष त्रिभुवनेश्वर सिंह देव (टीएस सिंह देव). आइए आपको बताते हैं कि कौन हैं भूपेश बघेल और टीएस सिंहदेव.
भूपेश बघेल: भूपेश बघेल ओबीसी वर्ग से आते हैं. वह मध्य प्रदेश के विभाजन से पहले दिग्विजय सिंह सरकार में मंत्री थे. एमपी का साल 2000 में विभाजन हुआ था. उन्होंने कांग्रेस को फिर से खड़ा करने के लिए पूरा राज्य पैदल घूमा था. अपने तीखे तेवरों से उन्होंने छत्तीसगढ़ की पॉलिटिक्स में अपने लिए अलग मुकाम बनाया है. गौरतलब है कि छत्तीसगढ़ की जनसंख्या का करीब 26 प्रतिशत हिस्सा ओबीसी वर्ग का है.
टीएस सिंह देव: त्रिभुवेश्वर सिंह देव ठाकुर परिवार से हैं और उनका संबंध सरगुजा स्टेट के शाही परिवार से भी है. वह छत्तीसगढ़ के सबसे अमीर विधायक भी हैं. राज्य में वह कांग्रेस का जाना-पहचाना चेहरा हैं. उन्होंने इस बार अंबिकापुर से चुनाव लड़ा था. वे अपने प्रतिद्वंदी और बीजेपी उम्मीदवार अनुराग सिंह देव से 20,664 वोटों से आगे चल रहे हैं.
ये दावेदार भी रेस में:
चरणदास महंत: इन्हें भी मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार माना जा रहा है. वह साल 1993 से लेकर 1998 तक दिग्विजय सिंह सरकार में मंत्री रह चुके हैं. इसके बाद मनमोहन सिंह सरकार में भी राज्य मंत्री रहे. महंत काफी शिक्षित लोगों में शुमार किए जाते हैं. तीन बार वह कोरबा से लोकसभा सांसद रहे हैं. 2008 में उन्हें पीसीसी चीफ बनाया गया था.
ताम्रध्वज साहू: 69 साल के साहू कृषि से जुड़े रहे हैं. फिलहाल दुर्ग से सांसद साहू 2000 से 2003 तक अजीत जोगी की सरकार में मंत्री थे. वह कोयला और इस्पात की संसदीय स्टैंडिंग कमिटी के मेंबर भी हैं. साहू समुदाय के चीफ भी रहे हैं, जिसकी संख्या छत्तीसगढ़ के ओबीसी वर्ग में सबसे ज्यादा है. उन्हें राहुल गांधी का करीबी भी माना जाता है.
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