September 27, 2024
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हत्या और बलात्कार के बाद भी कैसे SC ने छावला रेप केस के आरोपियों को किया रिहा ?

हत्या और बलात्कार के बाद भी कैसे SC ने छावला रेप केस के आरोपियों को किया रिहा ?

  • WRITTEN BY: Aanchal Pandey
  • LAST UPDATED : November 8, 2022, 4:14 pm IST

नई दिल्ली. सुप्रीम कोर्ट ने बीते दिन एक ऐसा फैसला सुनाया जिसकी वजह से अब विवाद हो रहा है. दरअसल, बीते दिन सुप्रीम कोर्ट ने छावला रेप केस के आरोपियों को रिहा कर दिया. जिन आरोपियों को सुप्रीम कोर्ट ने रिहा किया है उनपर पीड़िता के साथ बलात्कार, उत्पीड़न और हत्या करने का आरोप है. इस मामले में निचली अदालत और हाई कोर्ट ने उन्हें फांसी की सज़ा सुनाई थी, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में आरोपियों को रिहा कर दिया. अब सुप्रीम कोर्ट के इसी फैसले की वजह से लोगों में आक्रोश है. उनके मन में ये सवाल है कि आखिर इन्हें रिहा क्यों किया गया. वहीं, बीते दिन सुप्रीम कोर्ट के फैसले के आबाद पीड़िता की माँ ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट का फैसला चौंकाने वाला है, कम से कम आरोपियों को उम्रकैद की सज़ा तो देनी चाहिए थी.

सुप्रीम कोर्ट ने बताया कहाँ चूक हुई

छावला रेप केस में फैसला सुनाते हुए अदालत ने कहा कि अभियोजन पक्ष आरोपी की पहचान अब तक साबित नहीं कर सका है और यह इस ट्रायल की एक बड़ी खामी रही है. इसके साथ ही इस मामले में जस्टिस यू यू ललित की बेंच ने कहा कि पूरे ट्रायल के दौरान 49 गवाहों में से 10 का क्रॉस एग्जामिनेशन भी नहीं किया गया, इसके साथ ही सुनवाई के दौरान शीर्ष अदालत ने निचली अदालतों को नसीहत भी दी. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि, ‘अदालतों को कानून के मुताबिक मेरिट के आधार पर ही फैसला सुनाना चाहिए ऐसे मामलों में कोर्ट को किसी भी तरह के बाहरी नैतिक दबाव में नहीं आना चाहिए.’ इस बेंच में चीफ जस्टिस के अलावा जस्टिस रविंद्र भट और जस्टिस बेला एम. त्रिवेदी भी शामिल थे, और इस बेंच ने आरोपियों को रिहा करने का फैसला सुनाया.

गौरतलब है, साल 2012 में देहरादून की एक युवती को अगवा किया गया था और फिर आरोपियों ने हरियाणा ले जाकर उसके साथ गैंगरेप किया. न सिर्फ यहाँ इन्होने उसके साथ बलात्कार किया बल्कि उसका प्राइवेट पार्ट जला दिया और आँख फोड़कर उसमें तेज़ाब डाल दी. पीड़िता के परिवार को इस मामले में न्याय की उम्मीद थी, मामले में निचली अदालत और हाई कोर्ट ने उन्हें फांसी की सज़ा सुनाई थी जिसके बाद आरोपियों ने सुप्रीम कोर्ट में सज़ा कम करने की अपाल डाली थी, लेकिन सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के बाद पूरा मामला ही पलट गया और उन्हें रिहा कर दिया गया.

 

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