September 19, 2024
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पुणे में काम के दबाव से चार्टर्ड अकाउंटेंट की मौत, मां ने ऑफिस पर लगाया आरोप

मुंबई: महाराष्ट्र के पुणे में एक 26 वर्षीय चार्टर्ड अकाउंटेंट एना सेबेस्टियन पेरायिल की मौत का मामला गंभीर रूप से चर्चा में है। एना की मां अनीता ऑगस्टीन ने अपनी बेटी की मौत के लिए अत्यधिक काम के दबाव को जिम्मेदार ठहराया है. इसके साथ उन्होंने ही आरोप लगाया है कि उनकी बेटी के बॉस ने उस पर इतना काम लाद दिया कि वह मानसिक तनाव में आ गई थी, जिस कारण उसकी मौत हो गई.

ईवाई पुणे में कार्यकारी

बता दें, एना ने मार्च 2024 में ईवाई पुणे में कार्यकारी अधिकारी के पद पर नौकरी शुरू की थी, लेकिन मात्र चार महीने बाद जुलाई में उसकी मौत हो गई। यह मामला तब सुर्खियों में आया जब एना की मां ने ईवाई इंडिया के अध्यक्ष राजीव मेमानी को एक भावुक पत्र लिखा।

मां ने पत्र में क्या लिखा

अनीता ने पत्र में लिखा, “मैं यह पत्र एक दुखी मां के रूप में लिख रही हूं, जिसने अपनी बेटी को खो दिया है। मेरी बेटी ने 19 मार्च, 2024 को ईवाई पुणे में नौकरी शुरू की थी, लेकिन चार महीने बाद, 20 जुलाई को उसका निधन हो गया।” उन्होंने अपनी बेटी को एक जुझारू व्यक्तित्व के रूप में बताया, जो अत्यधिक काम के बोझ, नए माहौल और लंबे कार्य घंटों के कारण मानसिक, शारीरिक और भावनात्मक रूप से टूट गई थी।

काम के बदले चुकानी पड़ी जान

पत्र में एना के प्रबंधक पर भी सवाल उठाए गए हैं। अनीता ने लिखा कि जब एना ने अपनी टीम जॉइन की, तो उसे बताया गया कि कई कर्मचारी पहले ही अत्यधिक काम के कारण इस्तीफा दे चुके हैं। एना को उसकी टीम मैनेजर ने कहा था, “तुम्हें हमारी टीम की छवि बदलनी होगी,” लेकिन एना को इस बात का एहसास नहीं था कि उसे इस जिम्मेदारी के लिए अपनी जान की कीमत लगानी पड़ी।

ऑफिस में बदलाव की मांग

अनीता ने आगे बताया कि एना को अक्सर दिन के अंत में काम सौंपा जाता था, जिससे वह तनाव में रहती थी। उसे देर रात तक और वीकेंड्स पर भी काम करना पड़ता था। एक बार उसके सहायक प्रबंधक ने उसे रात में काम सौंपते हुए कहा कि इसे अगली सुबह तक पूरा करना है। एना पूरी रात जागकर काम करती रही और सुबह बिना आराम किए ऑफिस चली गई।

अनीता ने दुख जताया कि एना के अंतिम संस्कार में ईवाई का कोई भी ऑफिस का व्यक्ति शामिल नहीं हुआ। उन्होंने पत्र के अंत में कंपनी से जिम्मेदारी लेने और संगठन में बदलाव की मांग की, ताकि भविष्य में किसी और परिवार को इस तरह के आघात का सामना न करना पड़े।

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