जोशीमठ मामले में केंद्र सरकार का बड़ा फैसला, 6 सदस्यीय कमेटी का किया गठन

देहरादून। उत्तराखंड के जोशीमठ जिले की जमीन पिछले कुछ दिनों से लगातार धंसती जा रही है। इस समस्या को लेकर वहां के लोगों के साथ-साथ शासन-प्रशासन की भी चिंता बढ़ गई है। अब इसको लेकर केंद्र सरकार ने बड़ा फैसला लिया है। दरअसल केंद्र सरकार ने जोशीमठ मामले को लेकर 6 सदस्यीय कमेटी का गठन […]

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जोशीमठ मामले में केंद्र सरकार का बड़ा फैसला, 6 सदस्यीय कमेटी का किया गठन

SAURABH CHATURVEDI

  • January 7, 2023 2:30 pm Asia/KolkataIST, Updated 2 years ago

देहरादून। उत्तराखंड के जोशीमठ जिले की जमीन पिछले कुछ दिनों से लगातार धंसती जा रही है। इस समस्या को लेकर वहां के लोगों के साथ-साथ शासन-प्रशासन की भी चिंता बढ़ गई है। अब इसको लेकर केंद्र सरकार ने बड़ा फैसला लिया है। दरअसल केंद्र सरकार ने जोशीमठ मामले को लेकर 6 सदस्यीय कमेटी का गठन किया है।

कई जगहों से धंस रही है जोशीमठ की जमीन

जोशीमठ की धरती कई जगहों से धंस रही है। यहां पर सैंकड़ों घरों में पड़ रही दरारों के चलते वे कभी भी भरभराकर गिर सकते हैं। जिसकी वजह से लोगों के साथ-साथ वहां पर भारतीय जनता पार्टी की धामी सरकार भी चिंतित है। इस घटना पर देश दुनिया की कई पर्यावरणविदों की नजर है, सब यहीं जानना चाहते हैं कि यहां की धरती क्यों धंस रही है।

पहले भी गठित हो चुकी है एक कमेटी

गौरतलब है कि 70 की दशक में चमोली में एक बाढ़ आई थी। इसके बाद से ही यहां पर लगातार भूं-धंसाव की घटनाए हो रही हैं। उस समय उत्तराखंड यूपी का हिस्सा हुआ करता था। जमीन धंसने की घटना को लेकर उत्तर प्रदेश सरकार में गढ़वाल के कमिश्नर रहे मुकेश मिश्रा के नेतृत्व में एक आयोग बनाया था। इस मिश्रा आयोग का मुख्य कार्य ये था कि यहां पर हो रही जमीन धंसने के कारणों का पता लगाए। इस आयोग में भू-वैज्ञानिक, प्रसाशन, इंजीनियर के साथ-साथ प्रशासन के कई अधिकारियों को शामिल किया गया था। इस आयोग ने एक साल के अध्ययन के बाद सरकार को अपनी रिपोर्ट सौंपी।

मिश्रा रिपोर्ट में इन बातों का हुआ था जिक्र

इस मिश्रा रिपोर्ट में कहा गया कि, जोशीमठ शहर रेतीली चट्टान पर बसा हुआ है, जिसके कारण इस जिले के तलहटी पर कोई बड़ा निर्माण कार्य नहीं किया जा सकता। इस रिपोर्ट में ब्लास्ट और खनन का जिक्र करते हुए कहा गया था कि यहां पर ये सब नहीं किया जाए। इसके अलावा अलकनंदा नदी के तट पर सुरक्षा वॉल का निर्माण भी किया जाए। इन सभी रिपोर्टों को उस समय की राज्य सरकार ने दरकिनार कर दिया था, जो आज की तबाही की बड़ी वजह बनी।

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