अमृतसर के गोल्डन टेंपल में सुखबीर सिंह बादल पर हमला, दनादन चली गोलियां

पंजाब के अमृतसर में स्वर्ण मंदिर परिसर में 2 दिसंबर को गोलियां चलाई गईं, जहां शिरोमणि अकाली दल के प्रमुख सुखबीर सिंह बादल समेत कई नेता श्री अकाल तख्त साहिब द्वारा घोषित धार्मिक दंड के अनुसार सेवा कर रहे थे। इस गोलीबारी में सुखबीर सिंह बादल बाल-बाल बच गए।

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अमृतसर के गोल्डन टेंपल में सुखबीर सिंह बादल पर हमला, दनादन चली गोलियां

Neha Singh

  • December 4, 2024 9:55 am Asia/KolkataIST, Updated 21 hours ago

नई दिल्लीः पंजाब के अमृतसर में स्वर्ण मंदिर परिसर में सुखबीर सिंह बादल पर गोलियां चलीं। 2 दिसंबर को शिरोमणि अकाली दल के प्रमुख सुखबीर सिंह बादल समेत कई नेता श्री अकाल तख्त साहिब द्वारा घोषित धार्मिक दंड के अनुसार सेवा कर रहे थे। अचानक एक शख्स चलकर आगे आया और बंदूक निकाल कर सुखबीर सिंग की ओर गोली चला दी।  इस गोलीबारी में सुखबीर सिंह बादल बाल-बाल बच गए। वहां खड़े लोगों ने शख्स को पकड़ लिया और उससे बंदूक छीन ली।

बीकेआई का पूर्व सदस्य है आरोपी

आरोपी का नाम नारायण सिंह चौरा बताया जा रहा है। सूत्रों के अनुसार हमलावर बब्बर खालसा इंटरनेशनल (बीकेआई) का पूर्व सदस्य है। बताया जा रहा है कि वह 1984 में पाकिस्तान गया था और पाकिस्तान से हथियार और विस्फोटकों की तस्करी करके पंजाब में लाया था। वह बुड़ैल जेल ब्रेक मामले में भी आरोपी है। वह पंजाब की एक जेल में सजा भी काट चुका है। आपको बता दें कि जिस वक्स सुखबीर सिंह पर हमला हुआ तब वह गुरुद्वारे के बाहर पहरा देकर अपनी सजा काट रहे हैं।

सजा काट रहे बादल

आपको बता दें कि पूर्व डिप्टी सीएम सुखबीर सिंह बादल श्री अकाल तख्त साहिब द्वारा सुनाई गई सजा को भुगतने के लिए स्वर्ण मंदिर में सेवा कर रहे हैं। मंगलवार को भी करीब एक घंटे तक उन्होंने सेवादार की पोशाक पहनी और हाथ में भाला थामे घंटाघर के बाहर पहरा दिया। सुखबीर सिंह बादल को भी शौचालय साफ करने की सजा दी गई थी, लेकिन पैर में फ्रैक्चर होने के कारण उन्हें इससे छूट दी गई थी।

क्या है आरोप?

आरोप है कि सुखबीर सिंह बादल ने डेरा सच्चा सौदा प्रमुख राम रहीम को ईशनिंदा मामले में माफी दिलाने में मदद की। इसके लिए बादल ने अपने प्रभाव का इस्तेमाल कर राम रहीम के खिलाफ शिकायत वापस ले ली। श्री गुरु ग्रंथ साहिब की बेअदबी के मामले में कोई कार्रवाई नहीं की गई और संगत के पैसे से राजनीतिक विज्ञापन दिए गए। इसलिए अकाल तख्त ने सुखबीर बादल और उनकी कैबिनेट को दोषी करार किया है।

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