पंजाब के अमृतसर में स्वर्ण मंदिर परिसर में 2 दिसंबर को गोलियां चलाई गईं, जहां शिरोमणि अकाली दल के प्रमुख सुखबीर सिंह बादल समेत कई नेता श्री अकाल तख्त साहिब द्वारा घोषित धार्मिक दंड के अनुसार सेवा कर रहे थे। इस गोलीबारी में सुखबीर सिंह बादल बाल-बाल बच गए।
नई दिल्लीः पंजाब के अमृतसर में स्वर्ण मंदिर परिसर में सुखबीर सिंह बादल पर गोलियां चलीं। 2 दिसंबर को शिरोमणि अकाली दल के प्रमुख सुखबीर सिंह बादल समेत कई नेता श्री अकाल तख्त साहिब द्वारा घोषित धार्मिक दंड के अनुसार सेवा कर रहे थे। अचानक एक शख्स चलकर आगे आया और बंदूक निकाल कर सुखबीर सिंग की ओर गोली चला दी। इस गोलीबारी में सुखबीर सिंह बादल बाल-बाल बच गए। वहां खड़े लोगों ने शख्स को पकड़ लिया और उससे बंदूक छीन ली।
#WATCH | Punjab: Bullets fired at Golden Temple premises in Amritsar where SAD leaders, including party chief Sukhbir Singh Badal, are offering ‘seva’ under the religious punishments pronounced for them by Sri Akal Takht Sahib, on 2nd December.
Details awaited. pic.twitter.com/CFQaoiqLkx
— ANI (@ANI) December 4, 2024
आरोपी का नाम नारायण सिंह चौरा बताया जा रहा है। सूत्रों के अनुसार हमलावर बब्बर खालसा इंटरनेशनल (बीकेआई) का पूर्व सदस्य है। बताया जा रहा है कि वह 1984 में पाकिस्तान गया था और पाकिस्तान से हथियार और विस्फोटकों की तस्करी करके पंजाब में लाया था। वह बुड़ैल जेल ब्रेक मामले में भी आरोपी है। वह पंजाब की एक जेल में सजा भी काट चुका है। आपको बता दें कि जिस वक्स सुखबीर सिंह पर हमला हुआ तब वह गुरुद्वारे के बाहर पहरा देकर अपनी सजा काट रहे हैं।
आपको बता दें कि पूर्व डिप्टी सीएम सुखबीर सिंह बादल श्री अकाल तख्त साहिब द्वारा सुनाई गई सजा को भुगतने के लिए स्वर्ण मंदिर में सेवा कर रहे हैं। मंगलवार को भी करीब एक घंटे तक उन्होंने सेवादार की पोशाक पहनी और हाथ में भाला थामे घंटाघर के बाहर पहरा दिया। सुखबीर सिंह बादल को भी शौचालय साफ करने की सजा दी गई थी, लेकिन पैर में फ्रैक्चर होने के कारण उन्हें इससे छूट दी गई थी।
आरोप है कि सुखबीर सिंह बादल ने डेरा सच्चा सौदा प्रमुख राम रहीम को ईशनिंदा मामले में माफी दिलाने में मदद की। इसके लिए बादल ने अपने प्रभाव का इस्तेमाल कर राम रहीम के खिलाफ शिकायत वापस ले ली। श्री गुरु ग्रंथ साहिब की बेअदबी के मामले में कोई कार्रवाई नहीं की गई और संगत के पैसे से राजनीतिक विज्ञापन दिए गए। इसलिए अकाल तख्त ने सुखबीर बादल और उनकी कैबिनेट को दोषी करार किया है।
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