बुलंदशहर. उत्तर प्रदेश के बुलंदशहर में गोकशी के शक में भड़की हिंसा के बाद जिला अदालत ने तीन आरोपियों को मंगलवार को 14 दिनों की न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया है. सोमवार को स्याना के चिंगरागोठी गांव में भीड़ के नियंत्रित करने के दौरान इंस्पेक्टर सुबोध कुमार सिंह समेत दो लोगों की मौत हो गई थी. सुबोध सिंह की सिर में गोली लगने से मौत हुई थी. हिंसा भड़काने के पीछे बजरंग दल के जिला संयोजक योगेश राज का हाथ बताया जा रहा है, जो 2016 में हिंदू संस्था में शामिल हुआ था. वह पहले एक प्राइवेट नौकरी करता था. लेकिन बाद में नौकरी छोड़कर संगठन में आ गया.
फिलहाल योगेश को गिरफ्तार नहीं किया गया है. इस मामले में अब तक तीन लोग गिरफ्तार, 27 नामजद और 60 अज्ञात लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई है. रिपोर्ट्स के मुताबिक घटनास्थल पर मौजूद सुबोध कुमार सिंह ने भीड़ और योगेश को समझाने की कोशिश की थी, लेकिन उनसे बात नहीं सुनी. योगेश के खिलाफ आईपीसी की विभिन्न धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया है.
मंगलवार को एडीजी (लॉ एंड अॉर्डर) आनंद कुमार ने कहा कि यह कहना जल्दबाजी होगी कि यह इंटेलीजेंस की नाकामी है या संस्था की. जांच पूरी होने तक किसी भी पुलिसकर्मी के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की जाएगी. घटना की जांच के लिए एसआईटी का गठन किया गया है. मेरठ के एडीजी एसआईटी की अगुआई करेंगे. साथ ही एडीजी (इंटेलीजेंस) भी मामले की जांच करेंगे. उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार ने इंस्पेक्टर के परिवार को 50 लाख मुआवजा और सरकारी नौकरी देने का एेलान किया है. मृतक सुमित के परिवार को भी 5 लाख मुआवजा दिया जाएगा.
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