देश में यहां मनाई जाती है बूढ़ी दिवाली, जिंदगी में एक बार ज़रूर देखे

नई दिल्ली: दिवाली का त्योहार पूरे देश में धूमधाम से मनाया जाता है. वहीं आप छोटी दिवाली और बड़ी दिवाली के बारे में तो जानते ही हैं, लेकिन क्या आप जानते हैं कि हिमाचल प्रदेश में ‘बूढ़ी दिवाली’ नाम का एक खास पर्व भी मनाया जाता है? इस पर्व को ‘इगास’ भी कहा जाता है […]

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देश में यहां मनाई जाती है बूढ़ी दिवाली, जिंदगी में एक बार ज़रूर देखे

Yashika Jandwani

  • October 22, 2024 5:30 pm Asia/KolkataIST, Updated 1 month ago

नई दिल्ली: दिवाली का त्योहार पूरे देश में धूमधाम से मनाया जाता है. वहीं आप छोटी दिवाली और बड़ी दिवाली के बारे में तो जानते ही हैं, लेकिन क्या आप जानते हैं कि हिमाचल प्रदेश में ‘बूढ़ी दिवाली’ नाम का एक खास पर्व भी मनाया जाता है? इस पर्व को ‘इगास’ भी कहा जाता है और यह बड़ी दिवाली के करीब एक महीने बाद मनाया जाता है। वहीं इस खास त्योहार को मनाने वाली जगहें भी इतनी खूबसूरत हैं कि एक बार तो आपका भी यहां जाने का मन जरूर करेगा और फिर हर साल वापस यहां ज़रूर आना चाहेंगे।

दिवाली की रात ज्यादातर लोग अपने घरों में रहकर त्योहार मनाते हैं, लेकिन हिमाचल में बूढ़ी दिवाली को अनुभव करना एक यादगार पल साबित हो सकता है। वहीं खास बात यह है कि आपको अपने घर की दिवाली भी मिस नहीं करनी पड़ेगी, क्योंकि यह पर्व नवंबर के अंत या दिसंबर की शुरुआत में आता है। हिमाचल प्रदेश के खूबसूरत पहाड़ी राज्य में इस त्योहार का अपना अलग ही महत्व है और इसे खास तौर पर कुल्लू में बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है।

 Diwali in himachal Pradesh

कुल्लू की खूबसूरती

हिमाचल प्रदेश का कुल्लू शहर अपनी प्राकृतिक सुंदरता और शांत माहौल के लिए प्रसिद्ध है। यहां की बर्फीली पहाड़ियां और ठंडी हवा पर्यटकों को काफी आकर्षित करती हैं। बता डे कुल्लू में बूढ़ी दिवाली के साथ-साथ कई प्रमुख पर्यटन स्थलों का भी आनंद लिया जा सकता है। जैसे कि श्री हनोगी मंदिर, जो ब्यास नदी के किनारे स्थित है, यहां का एक प्रमुख धार्मिक स्थल है। इसके अलावा गुरुद्वारा मणिकर्ण साहिब, रघुनाथ मंदिर, बिजली महादेव मंदिर, भृगु झील और खीर गंगा जैसी जगहों की प्राकृतिक सुंदरता मन मोह लेती है।

बूढ़ी दिवाली की खासियत

बूढ़ी दिवाली का जश्न यहां पर खास तरीके से मनाया जाता है। इस पर्व में दीपक जलाए जाते हैं और लोग जलती मशालों के साथ जुलूस निकालते हैं। इसके अलावा, लोक गीत गाए जाते हैं और पारंपरिक नृत्य प्रस्तुत किए जाते हैं। स्थानीय समुदाय द्वारा इस अवसर पर कई सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं, जो पर्यटकों के लिए एक बेहतरीन अनुभव से कम नहीं होता हैं।

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