Bihar Judicial Service PT Reservation Quota Controversy: बिहार लोक सेवा आयोग की बिहार न्यायिक सेवा परीक्षा की प्रारंभिक परीक्षा के नतीजों पर विवाद हो गया है और कैंडिडेट इसके खिलाफ कोर्ट जाने की धमकी दे रहे हैं. आयोग ने 349 पदों की भर्ती के लिए 1100 कैंडिडेट को मेन्स परीक्षा के लिए सेलेक्ट किया है जिसमें आरक्षित वर्ग जैसे एससी, एसटी, ईबीसी के लिए भर्ती की सीटों से भी कम कैंडिडेट मेन्स परीक्षा के लिए सेलेक्ट किए गए हैं.
पटना. बिहार न्यायिक सेवा की प्रारंभिक परीक्षा यानी पीटी परीक्षा के नतीजे में फाइनल परीक्षा के लिए जो 1100 उम्मीदवार सेलेक्ट हुए हैं उनमें भर्ती के लिए आरक्षण नियमों के तहत अनुसूचित जाति यानी एससी के लिए रिजर्व सीटों से बहुत कम एससी कैंडिडेट के मेरिट लिस्ट में आने पर बवाल हो गया है. बिहार लोक सेवा आयोग ने 349 न्यायिक सेवा के पदों पर बहाली के लिए भर्ती निकाली थी जिसमें 175 सीट जेनरल, 73 ओबीसी सीट, 56 एससी सीट, 3 एसटी सीट, 42 ईबीसी सीट शामिल थीं. मुख्य परीक्षा के लिए जिन 1100 उम्मीदवारों को सेलेक्ट किया गया है उनमें आरक्षित वर्गों की सीटों से भी कम अभ्यर्थी मेन्स के लिए सेलेक्ट हुए हैं जिस पर बवाल हो गया है.
मेरिट लिस्ट में 1100 कैंडिडेट शामिल हैं जिनमें 980 जेनरल कोटे से, एससी कोटे से 9, एसटी कोटे के 1, बीसी कोटे के 25, ओबीसी के 78 और दिव्यांग कोटे के 7 कैंडिटेट शामिल हैं. साफ तौर पर मुख्य परीक्षा के लिए एससी, एसटी और ईबीसी कोटे की भर्ती की सीटों से कम संख्या में कैंडिडेट मेरिट लिस्ट में शामिल हैं. जाहिर तौर पर मुख्य परीक्षा के बाद इनमें कुछ और बाहर हो जाएंगे जिस वजह से भर्ती की 349 सीटों में काफी आरक्षित पद खाली रह जाएंगे. इस बवाल को लेकर कुछ कैंडिडेट नतीजों के खिलाफ कोर्ट जाने का मन बना रहे हैं.
बिहार लोक सेवा आयोग के परीक्षा नियंत्रक अमरेंद्र कुमार ने आरक्षित कोटा की सीटों से भी कम कैंडिडेट के पीटी में पास करने के सवाल पर कहा है कि न्यायिक सेवा की परीक्षा में आरक्षण का नियम अलग तरीके से लागू होता है. उन्होंने कहा है कि इसमें सामान्य श्रेणी की कट ऑफ से पांच परसेंट कम नंबर वाले परीक्षार्थियों को ही मेरिट लिस्ट में रखा जाता है. इससे कम नंबर वालों को आरक्षण के बावजूद मेधा सूची में जगह नहीं मिल पाता है.
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