बेंगलुरु. कर्नाटक में बीजेपी के बीएस येदियुरप्पा ने 15 सीटों पर हुए विधानसभा उप चुनाव में 12 सीट जीतकर साफ कर दिया है कि अब जनता मजबूत और स्थायी सरकार चाहती है. अगर भाजपा खराब प्रदर्शन करती तो जाहिर है बहुमत की संख्या खो देती और सिद्धारमैया की कांग्रेस और जेडीएस एक बार फिर एक साथ मिलकर गठबंधन सरकार बनाने की कोशिश करते जैसा साल 2018 में हुआ भी. लेकिन नतीजा ये रहा कि कुछ ही दिनों में जेडीएस चीफ एचडी कुमारस्वामी ने गठबंधन की सरकार को विष का प्याला बता दिया.
कर्नाटक विधानसभा में बीजेपी को प्रचंड जीत मिलना ही कहेंगे. आंकड़ें हाल ही में आए एग्जिट पोल से काफी मिले. एग्जिट पोल में बीजेपी को 9-12 सीट जीतने का अनुमान था. बीजेपी ने 12 पर जीत हासिल की. कांग्रेस को सिर्फ 2 सीटों पर ही जीत मिली, 1 सीट निर्दलीय के खाते में गई. जनता दल सेक्युलर अपना हाथ मलते रह गई.
राज्य में उपचुनाव के बाद 224 मेंबरों की विधानसभा की संख्या 222 हो गई है जिसमें 117 विधायक बीजेपी के पास हैं. बहुमत के लिए सिर्फ 112 विधायक चाहिए. कांग्रेस के पास 68 और जेडीएस के पास 34 विधायक हैं. 2 सीटों पर हाईकोर्ट में मुकदमा है, इसलिए उनपर उप चुनाव नहीं कराया गया. नतीजों से साफ है कांग्रेस और जेडीएस एक बार फिर कर्नाटक विधानसभा में विपक्षी दल की भूमिका में ही रहेंगी.
कर्नाटक की 15 सीटों पर उप-चुनाव क्यों ?
दरअसल, कुछ समय पहले बीजेपी ने कर्नाटक में ऑपरेशन कमल चलाते हुए अपनी सरकार बना ली थी. इससे पहले साल 2018 विधानसभा चुनाव में त्रिंशुक विधानसभा के नतीजे आए जिसमें भाजपा सबसे बड़ी पार्टी रही लेकिन जेडीएस ने कांग्रेस के साथ गठबंधन कर सरकार बना ली और एचडी कुमारस्वामी मुख्यमंत्री बन गए.
हालांकि, जेडीएस और कांग्रेस की गठबंधन सरकार कुछ ही महीने चल पाई क्योंकि अचानक दोनों पार्टियों के 17 विधायक बीजेपी में शामिल हो गए. इस बात पर खूब विवाद मचा और आखिरकार बात सुप्रीम कोर्ट तक पहुंच गई. सुप्रीम कोर्ट ने विधानसभा स्पीकर का फैसला रखते हुए सभी विधायकों को अयोग्य करार दे दिया लेकिन उनपर फिर से उपचुनाव लड़ने की रोक नहीं लगाई थी. अब उप चुनाव में नतीजे बीजेपी के पक्ष में रहे.
जनता अब समझ गई स्थाई सरकार का फायदा
बीजेपी को राज्य में मिली जीत से साफ है अब जनता गठबंधन की चिक-चिक नहीं चाहती है. सरकार बीजेपी बनाए या कांग्रेस लेकिन लोग चाहते हैं स्थिर सरकार हो. कर्नाटक में पिछले विधानसभा चुनाव से लगातार सियासी हलचल जारी थी जिसकी खामियाजा कहीं न कहीं आम लोगों को ही उठाना पड़ता है. इसलिए इस बार जनादेश बीजेपी की ओर रहा जिससे कम से कम राज्य को अगले साढ़े तीन साल के लिए एक मजबूत सरकार मिलने जा रही है.
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