जम्मू- कश्मीर में बीजेपी ने पीडीपी से समर्थन वापस लेने के बाद मंगलवार को मुख्मंत्री महबूबा मुफ्ती ने भी अपना इस्तीफा राज्यपाल एन एन वोहरा को सौंप दिया. जिसके बाद राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने राज्यपाल शासन को मंजूरी दी है. जम्मू कश्मीर में वर्तमान में एनएन वोहरा गवर्नर जिन्होंने आज 2.30 बजे सुरक्षा अधिकारियों की बैठक बुलाई है.
श्रीनगर: सीजफायर को लेकर जम्मू-कश्मीर में पीडीपी-बीजेपी गठंबधन टूट गया है और महबूबा मुफ्ती की सरकार गिर गई है. मंगलवार को बीजेपी ने पीडीपी से समर्थन वापसी का ऐलान कर दिया. आज सवेरे राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद द्वारा जम्मू कश्मीर में राज्यपाल शासन का मंजूरी दे दी. जिसके तुरंत बाद ही गवर्नर वी वी वोहरा ने सुरक्षा अधिकारियों की 2.30 बजे बैठक बुलाई है. बता दें मंगलवार को बीजेपी ने राज्यपाल एन एन वोहरा को समर्थन वापसी का पत्र भेजा था जिसके बाद महबूबा मुफ्ती ने भी सीएम पद से अपना इस्तीफा राज्यपाल को भेज दिया.
बता दें कि जम्मू कश्मीर की 89 सदस्यों की विधानसभा में 2 नॉमिनेटेड मेंबर के अलावा 87 सदस्य होते हैं जिनका चुनाव होता है. इन 87 में पीडीपी के 28, बीजेपी के 25, नेशनल कॉन्फ्रेंस के 15, कांग्रेस के 12, सीपीएम 1, पीडीएफ 1 और दूसरी पार्टियों और निर्दलीय 5 विधायक हैं. पीडीपी और नेशनल कॉन्फ्रेंस एक-दूसरे की कट्टर विरोधी हैं इसलिए ये एक साथ सरकार नहीं बना सकतीं और बीजेपी का साथ देने के लिए भी कोई पार्टी तैयार नहीं है.
कांग्रेस ने महबूबा मुफ्ती को समर्थन देने से मना कर दिया है. समर्थन वापस लेने के पीछे बीजेपी ने तर्क दिया है कि घाटी में कट्टरपंथी बढ़ती जा रही है और बोलने की आजादी तक खतरे में पड़ गई है. उन्होंने कहा कि हमने तीन साल तक पीडीपी के साथ सुचारू रूप से सरकार चलाने की कोशिश की लेकिन वर्तमान हालातों को देखते हुए गठबंधन जारी रखना बहुत मुश्किल हो गया था.
राम माधव ने कहा कि इन तीन सालों के दौरान विकास कार्य भी हुए और बॉर्डर पर रह रहे लोगों की सुरक्षा के इंतजाम भी किए गए. लेकिन जम्मू-कश्मीर का नेतृत्व साथ निभाने में विपल साबित हुआ. उन्होंने कहा कि बीजेपी के मंत्रियों को जम्मू और लद्दाख के इलाकों में काम करना मुश्किल हो रहा था. इसलिए हमने गठबंधन तोड़ने का फैसला लिया है.
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