नई दिल्लीः राजस्थान और मध्य प्रदेश में इस साल के अंत तक विधानसभा चुनाव होने वाले हैं. हाल में मिले संकेतों से ऐसा जान पड़ता है कि दोनों ही राज्यों में बीजेपी पर खतरा मंडरा रहा है. दरअसल ऐसा इसलिए कहा जा रहा है क्योंकि पिछले माह दोनों ही राज्यों में उपचुनाव हुए थे और लोकसभा और विधानसभा सीटों पर कांग्रेस ने भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) को करारी शिकस्त दी थी. माना जा रहा है कि आगामी विधानसभा चुनाव को जीतने के लिए बीजेपी ने एक नया प्लान तैयार किया है. इसके तहत पार्टी हाईकमान इन राज्यों में नेतृत्व परिवर्तन कर सकता है और राजस्थान की मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे और एमपी के सीएम शिवराज सिंह चौहान को मोदी कैबिनेट में शामिल कर सकता है.
क्या वसुंधरा राजे और शिवराज सिंह चौहान को अब दिल्ली बुलाया जाएगा, यह सवाल उपचुनाव में कांग्रेस की जीत और सत्ता विरोधी लहर की एक छोटी सी झलक देखने के बाद से दोनों ही राज्यों में उठने लगा है. एक ओर जहां बीजेपी कांग्रेस मुक्त भारत का सपना देख रही है और इसी दिशा में आगे बढ़ते हुए 21 राज्यों पर काबिज हो चुकी है, वहीं चार राज्यों में बची कांग्रेस के लिए बीजेपी के इस चक्रव्यूह को तोड़ना किसी चुनौती से कम नहीं है. अस्तित्व की लड़ाई लड़ रही कांग्रेस के लिए इस साल कर्नाटक के साथ-साथ राजस्थान और मध्य प्रदेश जीतना भी बेहद जरूरी हो चला है. बीजेपी नहीं चाहती कि राजस्थान और मध्य प्रदेश उनके हाथ से निकल जाए, लिहाजा पार्टी सूत्रों की मानें तो उपचुनाव के नतीजों से पार्टी हाईकमान चिंतित है और माना जा रहा है कि विधानसभा चुनाव से पहले दोनों ही राज्यों में नेतृत्व में परिवर्तन देखने को मिल सकता है.
बताया जा रहा है कि राजस्थान में उपचुनाव में मिली हार के बाद बीजेपी के कुछ नेताओं ने शीर्ष नेतृत्व से मुलाकात कर विधानसभा चुनाव से पहले वसुंधरा राजे को हटाने की मांग कर डाली. बीजेपी नेता अशोक चौधरी (ओबीसी विंग, कोटा) ने अमित शाह को चिट्ठी लिख कहा कि अगर राज्य में बीजेपी को फिर से सत्ता पर काबिज कराना है तो नेतृत्व में परिवर्तन करना होगा. हालांकि पार्टी हाईकमान वसुंधरा राजे की क्षमता से भी भली-भांति परिचित है. बीजेपी को डर है कि अगर राजे को हटाया जाता है तो पार्टी दो हिस्सों में बंट सकती है, जिसका खामियाजा उन्हें आगामी विधानसभा चुनाव में उठाना पड़ सकता है. बहरहाल उपचुनाव के नतीजों से जहां दोनों ही राज्यों के सीएम डरे हुए हैं, वहीं कांग्रेस नेता सचिन पायलट और ज्योतिरादित्य सिंधिया इसे अपने-अपने राज्यों में बीजेपी का आखिरी कार्यकाल बता रहे हैं.
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