वंही राजस्थान की इस हाड़कंपाती सर्दी के बीच नेताओं के बयान राजनीतिक तापमान को बढा रहे हैं नए साल के पहले दिन बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनियां ने कहा की बीजेपी पर सरकार गिराने के जो भी आरोप मुख्यमंत्री की तरफ से लगाए जा रहे हैं वो गलत और निराधार हैं।
राजस्थान की सत्ता की चाबी लेने के लिए अब बीजेपी ने अपना प्लान बदल दिया है ….मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की जादूगरी के चलते एक बार आपरेशन लोटस फैल होने के बाद अब बीजेपी कांग्रेसी विधायकों पर दाव नही खेलेगी। अब बीजेपी का प्लान मध्यप्रदेश और कर्नाटक के फार्मूले पर होगा। राजस्थान में जब तक अब विधायकों के इस्तीफे नही हो जाते हैं तब तक कोई भी कदम नही उठाने के लिए बीजेपी के केन्द्रीय आला कमान ने राजस्थान बीजेपी की प्रदेश इकाई के नेताओं और यंहा से जुड़े केन्द्रीय नेताओं को सख्त हिदायत दी है। गहलोत की रणनीति के आगे एक बार मात खा चुकी बीजेपी हर कदम फूंक फूंक कर रखना चाहती है ।
छ महिने पहले सचिन पायलट के कंधे पर बंदूक रखकर गहलोत सरकार को गिराने की कवायद फैल हो जाने के बाद अब बीजेपी के वरिष्ठ नेताओं ने तय कर लिया है कि अब राजस्थान की सरकार को गिराने के लिए गहलोत के मुख्यमंत्री के रहते कांग्रेसी विधायकों का सहारा नही लिया जाए। बीजेपी के विश्वस्त सूत्रों से प्राप्त जानकारी के अनुसार भाजपा को अब कांग्रेस के विधायकों पर विश्वास कम है। क्योंकि राजस्थान में चलाये गए आपरेशन लोटस में सचिन पायलट 30 विधायक अपने साथ नही ला पाए और केवल 19 विधायक ही जुट पाए और गहलोत की सरकार पर कोई इसका असर नही पड़ा । फिर गहलोत ने जो जादूगरी चलाई और जो उनका चारदशक का राजनीति का अनुभव है उसको न बीजेपी के नेता समझ पाए और ना ही पायलट । गहलोत ने अपनी दूरदर्शिता से पायलट और उनके साथियों की राजनीति को कमजोर करने के लिए सभी दाव खेले। जिसमें सबसे बड़ा दाव था जनक 13 निर्दलीय विधायकों ने गहलोत को मुख्यमंत्री बनने से पहले ही अपना समर्थन दे दिया था उनको और बसपा को प्रदेश में दूसरी बार खत्म करके कांग्रेस विधायक दल में विलय करवाने वाले विधायकों को एकजुट और अपने पास रखा। और इन विधायकों ने आज भी गहलोत में अपनी आस्था व्यक्त की हई है।
200 सीटों वाली विधानसभा में बीजेपी के पास आज 72 विधायक है और एक विधायक किरण माहेश्वरी की हाल में निधन हो गया और 3 सीटें आरएलपी हनुमान बेनीवाल की पार्टी की है जो अब तक समर्थन में थे। लेकिन किसान आंदोलन के बाद उन्होंने भी नाता तोड़ने की बात कह दी है। आरएलपी का ऊंट किस करवट बैठेगा अभी नही कह सकते हैं लेकिन अब बीजेपी को सत्ता के जादुई आंकड़े तक पंहुचने के लिए कम से कम 29 विधायकों की आवश्यकता है। बीजेपी के नेता इस बात को जान चुके हैं कि गहलोत के मुख्यमंत्री रहते उनको सीधी चुनौति देकर ये कर पाना काफी मुश्किल है।क्योंकि गहलोत की रणनीति के आगे वे एक बार फेल साबित हो चुके हैं और अब दुबारा किसी सूरत में मात नही खाना चाहते हैं । इसलिए मध्यप्रदेश और कर्नाटक का फार्मुला ही राजस्थान में चलाया जाए। यंहा पर पहले काग्रेसी और निर्दलीय विधायकों से इस्तीफे दिलवाये जाए और फिर सत्ता की चाबी मौजूदा विधायक दल की संख्या के आधार पर अपने हाथों में ली जाए। सूत्रों के अनुसार अब बीजेपी का जो प्लान तैयार हुआ है उसमें मध्यप्रदेश की तर्ज पर कांग्रेस विधायक अपने इस्तीफे दें और सरकार जब अल्पमत में आ जाए तो दुबारा से बीजेपी के सिंबल पर चुनाव लड़े और फिर सरकार बले। बीजेपी के नेताओं के एक बार फिर से मंसूबे जागे हुए हैं और उनकी सोच है कि सरकार में मंत्रिमंडल में फेरबदल पुनर्गठन होगा उस समय फिर से विधायकों में अंसतोष उभर सकता है । ऐसे समय में फिर से एक बार दाव खेला जा सकता है। क्योकि गहलोत से उन सभी विधायकों को जिन्होंने जयपुर के फेरमोंट और जैसलमेर के सूर्यागढ पैलेस में सरकार बचाने के लिए महिनों रुके थे वे कुछ ना कुछ चाहते हैं। सरकार में उनको कैसे भी भागीदारी मिले। लेकिन सभी को कुछ दे पाना ये संभव नही लगता इसी लिए बीजेपी के नेताओं को लग रहा है कि वो फिर से एक मौका होगा जिसमें फिर से काग्रेस के असंतुष्ट नेताओं और निर्दलियों के सहारे पर कर्नाटक और मध्यप्रदेश के आपरेशन लोटस को यंहा भी दोहराया जा सकता है। इसलिए बीजेपी के नेता बार बार इस बात के दोहरा रहे है मंत्रिमंडल विस्तार के बाद गहलोत की सरकार गिर जाएगी। नेता प्रतिपक्ष गुलाबचन्द कटारिया ने अशोक गहलोत पर निशाना साधा कि जिस दिन कैबीनेट का विस्तार होगा उस दिन गहलोत की सरकार गिर जाएगी। उनका कहना है कि मुख्यमंत्री कैबिनेट का विस्तार इसीलिए नही कर रहे हैं कि क्योंकि वे कैबिनेट सब को शामिल नही कर सकते हैं जिस दिन वह कैबिनेट का विस्तार करेंगे इस दिन गहलोत सरकार गिर जाएगी कटारिया का कहना है कि यही कारण है कि सीएम बीजेपी के वरिष्ठ नेताओं को इसीलिए टारगेट कर रहे हैं ताकि कैबिनेट का विस्तार टलता रहे । बीजेपी इसके बाद ही अपना राजनीतिक दाव खेलेगी।
वंही राजस्थान की इस हाड़कंपाती सर्दी के बीच नेताओं के बयान राजनीतिक तापमान को बढा रहे हैं नए साल के पहले दिन बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनियां ने कहा की बीजेपी पर सरकार गिराने के जो भी आरोप मुख्यमंत्री की तरफ से लगाए जा रहे हैं वो गलत और निराधार हैं। सतीश पूनिया ने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को चुनौती देते हुए कहा कि अगर सरकार को अपने जनादेश और लोकप्रियता का इतना अभिमान है तो प्रदेश में मध्यावधि चुनाव करा कर देख लें। पूनिया ने सरकार को चुनौती भरे लहजे में कहा कि अगर राजस्थान में मध्यावधि चुनाव हुए तो सरकार को असलियत का पता लग जाएगा। बीजेपी के प्रदेश के आला नेताओं के इस तरह की बयानबाजी से साफ लगने लगा है कि बीजेपी इस बार आपरेशन लोटस को दूसरे रुप में अंजाम देने में जुटी है और उस मौके की तलाश में बैठी है जिसमें असंतुष्टों से इस्तीफे दिलवाकर यंहा पर सत्ता प्राप्ती के सपने संजोये हैं। दूसरी और मुख्यमंत्री अशोक गहलोत भी इस जुगत में है कि सत्ता बचाने में सहयोग देने वाले विधायकों को किसी ना किसी रुप में सत्ता में भागीदारी देकर संतुष्ट किया जा सके। इसके लिए वे संसदीय सचिव बनाये जाने के उस फार्मूले में भी सुधार करने में जुटे हैं जिसमें विधायक आफिस आफ प्रोफिट के दायरे से बाहर निकाला जा सके। और ज्यादातर विधायकों को संसदीय सचिव और पालीटिकल नियुक्ति वाले पदों पर बिठाया जा सके। साथ ही पायलट खेमे के भी वरिष्ठ नेताओं को उनकी राय से कैबिनेट में शामिल कर खुश कर दें। अब देखना यह होगा कि कैबिनेट विस्तार का इंतजार कर रही बीजेपी को गहलोत अपनी जादूगरी के माध्यम से किस प्रकार से दुबारा पटकनी दे पाते हैं या नही।
गोविंदसिंह डोटासरा पीसीसी चीफ राजस्थान – बीजेपी के मंसूबे कभी पूरे नही होंगे पूरी कांग्रेस और विधायक एकजुट है। बीजेपी वाले एक बार फेल हो गए तो केन्द्रीय गृह मंत्री अमित शाह इसको अस्मिता का सवाल न बनाये अस्मिता का सवाल ही बनाना है तो जो लाखों किसान धरने पर बैठे है उनकी समस्या सुलझाने को बनाये उनका हल निकाले। राजस्थान की जनता ने सरकार चुनी है और पूरी पांच साल चलेगी।
गुलाबचंद कटारिया – नेता प्रतिपक्ष
राजस्थान में कांग्रेस में आंतरिक विद्रोह को एक बार भले ही दबा दिया गया हो आने वाले समय मे जब गहलोत कैबिनेट का विस्तार होगा खुद कांग्रेसी असंतुष्ठ होकर बाहर हो जाएंगे। हमे कुछ नही करना ।