बीजेपी पर लगा परिवारवाद का आरोप, कहा अपने ही परिवार को बांट रही नौकरी

उत्तर प्रदेश विधानसभा और विधान परिषद में भर्तियों में कथित गड़बड़ियों का मामला तूल पकड़ रहा है। रिपोर्ट के अनुसार, सिलेक्टेड उम्मीदवारों में तत्कालीन विधानसभा अध्यक्ष के पीआरओ और उनके भाई, एक पूर्व मंत्री का भतीजा, विधान परिषद और विधानसभा सचिवालय से जुड़े अधिकारियों के रिश्तेदार और कई अन्य वीआईपी के करीबी शामिल थे।

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बीजेपी पर लगा परिवारवाद का आरोप, कहा अपने ही परिवार को बांट रही नौकरी

Yashika Jandwani

  • November 18, 2024 7:04 pm Asia/KolkataIST, Updated 2 hours ago

लखनऊ: उत्तर प्रदेश विधानसभा और विधान परिषद में भर्तियों में कथित गड़बड़ियों का मामला तूल पकड़ रहा है। विपक्षी दलों ने बीजेपी पर परिवारवाद और अनियमितताओं का आरोप लगाया है। एक सामने आई रिपोर्ट के मुताबिक, समीक्षा अधिकारी (RO) और सहायक समीक्षा अधिकारी (ARO) के 186 पदों में से 38 पदों पर सिलेक्टेड उम्मीदवारों के संबंध राजनेताओं और अधिकारियों से थे।

रिपोर्ट के अनुसार, सिलेक्टेड उम्मीदवारों में तत्कालीन विधानसभा अध्यक्ष के पीआरओ और उनके भाई, एक पूर्व मंत्री का भतीजा, विधान परिषद और विधानसभा सचिवालय से जुड़े अधिकारियों के रिश्तेदार और कई अन्य वीआईपी के करीबी शामिल थे। इन भर्तियों के लिए 2.5 लाख से अधिक उम्मीदवारों ने आवेदन किया था और परीक्षाएं 2020-21 में आयोजित की गई थीं।

सीबीआई जांच का आदेश

समाजवादी पार्टी के नेता आशुतोष सिन्हा ने इसे बीजेपी की दोहरी राजनीति बताते हुए कहा कि वह परिवारवाद का आरोप लगाती है, लेकिन खुद इसमें शामिल है। कांग्रेस नेता अशोक सिंह ने मामले की निष्पक्ष जांच और दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की। इसके साथ ही राष्ट्रीय किसान मंच के अध्यक्ष शेखर दीक्षित ने आरोप लगाया कि भर्ती प्रक्रिया में 25 प्रतिशत गड़बड़ियां उजागर हुई हैं और यह समाज के साथ धोखा है।

बीजेपी ने दी सफाई

इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने सितंबर 2023 में इन भर्तियों की निष्पक्षता पर सवाल उठाते हुए सीबीआई जांच का आदेश दिया था। अदालत ने जांच के लिए नवंबर तक रिपोर्ट मांगी थी। कोर्ट ने यह भी सवाल उठाया कि 2019 में भर्ती एजेंसी क्यों बदली गई, जबकि पहले से ही उपयुक्त एजेंसियां मौजूद थीं। हालांकि 14 अक्टूबर 2023 को सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के आदेश पर रोक लगाते हुए मामले की अगली सुनवाई जनवरी 2025 के लिए निर्धारित की थी। बीजेपी के नेताओं ने इस पर सीधा जवाब देने से बचते हुए कहा कि मामला अदालत में विचाराधीन है। यह विवाद अब राजनीतिक बहस का केंद्र बन गया है.

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