गांधीनगर, केंद्र और गुजरात दोनों जगहों पर भाजपा की ही सरकार है. लेकिन बिल्किस बानो रेप केस के आरोपियों की रिहाई के मामले में केंद्र और राज्य सरकार के बीच सामंजस्य नहीं बैठ पा रहा है. बताया जा रहा है कि इन आरोपियों की रिहाई में राज्य सरकार ने केंद्र सरकार द्वारा दी गई गाडलाइंस को दरकिनार कर दिया है, कहा जा रहा है कि आजादी के अमृत महोत्सव के दौरान जिन कैदियों की रिहाई के लिए केंद्र सरकार की तरफ निर्देश जारी किए गए थे, उसमें दुष्कर्म के आरोपी शामिल नहीं थे. इसके बावजूद गुजरात सरकार ने बिल्किस बानो रेप केस में उम्रकैद की सजा काट रहे 11 व्यक्तियों को रिहा कर दिया.
इस साल जून में आजादी के अमृत महोत्सव के तहत केंद्र सरकार ने राज्यों के लिए एक दिशा-निर्देश जारी किया था, जिसके तहत जेल में लंबे समय से सजा काट रहे अपराधियों को छोड़ने के लिए स्पेशल पॉलिसी का प्रस्ताव लाया गया था और उनकी रिहाई के निर्देश दिए गए थे. हालांकि इसमें रेप केस में सजा काट रहे अपराधियों को छोड़ने का प्रावधान नहीं थी, इस तरह तकनीकी रूप से देखें तो बिल्किस बानो रेप केस के आरोपी इस गाइडलाइन के मुताबिक रिहा नहीं किए जा सकते थे. लेकिन इस मामले में गुजरात सरकार ने अपनी पॉलिसी का पालन किया और माफी याचिका पर सुप्रीम कोर्ट द्वारा मई में दिए गए निर्देशों के तहत आरोपियों को जेल से रिहा कर दिया.
केंद्र सरकार द्वारा जारी की गई गाइडलाइन में ये साफ़ था रेप केस में सजा काट रहे अपराधियों पर ये प्रस्ताव लागू नहीं होगा, लेकिन इसके बावजूद गुजरात सरकार ने इन्हें रिहा कर दिया. सिर्फ इतना ही नहीं, गृह मंत्रालय की वेबसाइट पर मौजूद केंद्र सरकार की गाइडलाइंस में एक प्वॉइंट यह भी है कि उम्रकैद की सजा पाने वालों पर भी ये प्रस्ताव लागू होता है और उन्हें नहीं छोड़ना है. इस तरह से भी बिल्किस बानो रेप केस के 11 आरोपी इस क्राइटेरिया के तहत नहीं आते हैं और उन्हें छोड़ा नहीं जा सकता था. वहीं गोधरा उपजेल से बाहर आने के बाद आरोपियों का मिठाई खिलाकर स्वागत किया गया, जेल से बाहर आने के बाद याचिका लगाने वाले राधेश्याम शाह ने ख़ुशी जताते हुए मिठाई बांटी है. उनकी याचिका पर ही इनकी रिहाई का फैसला हुआ है. राधेश्याम ने कहा कि अब मैं अपने परिवार से मिलूंगा और एक नई जिंदगी की शुरुआत करूँगा.
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